दशहरा का त्योहार लोग अधर्म पर धर्म की जीत के रूप में मनाते हैं। 19 अक्टूबर को विजयादशमी है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। देवताओं को भी पराजित करने वाला रावण महापंडित और महाज्ञानी था।
लेकिन रावण की सबसे बड़ी कमजोरी यह थी कि वह अपने बल और ज्ञान के अहंकार में खुद को ही भगवान मान बैठा था और ईश्वर के बनाए नियमों में बदलाव करना चाहता था। अगर रावण कुछ साल और जीवित रहता तो अपने 7 अधूरे काम को पूरा कर लेता और फिर दुनिया कुछ और होती है। आइए जानते हैं रावण के वह सात अधूरे काम क्या हैं।
रावण का सबसे पहला सपना था स्वर्ग में सीढ़ी बनाना। रावण चाहता था कि हर व्यक्ति स्वर्ग जाए इसलिए वह धरती से लेकर स्वर्ग तक सीढ़ियां बनाने का काम शुरू कर चुका था। लेकिन जब तक यह सीढ़ी बनकर तैयार होती रावण भगवान राम के हाथों में मारा गया।
रावण की दूसरा सपना था समुद्र के पानी को मीठा करना। रावण को पता था कि पृथ्वी पर पीने का पानी कम है। अगर समुद्र का पानी मीठा हो जाए तो पीने के पानी की समस्या हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।
रावण का तीसरा अधूरा काम सोने में सुगंध भरना था। इसकी वजह यह थी कि रावण सोने का शौकीन था इसलिए उसने अपनी पूरी नगरी सोने की बनाई थी। रावण चाहता था कि सोने में सुगंध आ जाए ताकि उसे कहीं भी सुगंध से जान लिया जाए इससे सोने की तलाश आसान हो जाएगी।
रावण स्वयं काला था इसलिए वह रंगभेद को खत्म करना चाहता था। रावण चाहता था कि सभी लोग गोरे दिखें ताकि कोई किसी को उनके सांवले रंग को लेकर मजाक न करे।
खून का रंग लाल होता है जिसे रावण सफेद करना चाहता था ताकि उसके द्वारा किए जाने वाली हत्या का पता किसी को न चले।
रावण अगर कुछ दिन और जीवित रहता तो मदिरा को गंधहीन बना देता। रावण की चौथी इच्छा थी कि मदिरा में कोई गंध नहीं हो जिससे सभी लोग मदिरापान का आनंद ले सकें।
रावण चाहता था कि संसार भगवान की पूजा बंद कर दे और उसकी पूजा करे लेकिन रावण का यह सपना उसके साथ ही टूट गया।