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धरती के भगवान की चप्पलों से की गई पिटाई, मामला मेडिकल कॉलेज में मारपीट का,यदि हमें न्याय नहीं मिलता है तो हमें कोरोना वारियर्स भी न कहा जाए-डॉ मनोज चंद्राकर

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जगदलपुर। मेडिकल कालेज डिमरापाल में डॉक्टरों और मरीज के परिजनों के बीच मारपीट का मामला गरमाता चला जा रहा है। आज डॉक्टरों की प्रेस वार्ता के बाद इस मामले में नया मोड़ आ गया है। कल पीड़ित पक्ष के द्वारा पत्रवार्ता के जरिए डॉक्टरों पर गम्भीर आरोप लगाए गए थे। जहां कल एक कोरोना मरीज की मौत के बाद परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया था। साथ ही डॉक्टरों द्वारा परिजनों के साथ मारपीट सहित शव को भी अपने कब्जे में रखने की बात की थी। वहीं आज डॉक्टरों ने प्रेस वार्ता के दौरान परिजनों पर आरोप लगाया कि मरीज का इलाज कर रहे डॉक्टर के साथ पहले परिजनों ने मारपीट की थी। साथ ही उन्होंने मीडिया को एक वीडियो क्लिप भी उपलब्ध करवाई जिसमें मरीज के परिजन डॉक्टर की पिटाई करते नजर आ रहे हैं।

पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए डॉक्टर मनोज चंद्राकर ने बताया कि जिस समय उक्त मरीज को मेकॉज में भर्ती कराया गया उस दौरान उनकी हालत काफी गंभीर थी। डॉक्टरों द्वारा परिजनों को मरीज की हालत खराब होने की बात कहते हुए उसे वेंटिलेटर में रखने की बात कही गई जिस पर परिजनों ने लिखित तौर पर मना कर दिया। बावजूद इसके मेकॉज में मरीज के उपचार को प्राथमिकता देते हुए उन्हे बचाने का हर संभव प्रयास किया गया। मरीज की हालत खराब होने पर मरीज को डॉक्टर के द्वारा सीपीआर देने के दौरान मरीज की बेटी ने चिकित्सक को धक्का मारने के बाद चप्पलों से पिटाई करना शुरू कर दी जिसकी रिकॉर्डिंग कोविड वार्ड के सीसीटीवी कैमरे मे कैद हो गई। मरीज की मौत होने के बाद उसके परिजन हिंसक हो गए और डाक्टर एवं अन्य स्टाफ के साथ मारपीट की।

डॉक्टर मनोज चंद्राकर ने मारपीट की बात को सिरे से नकारते हुए कहा कि इस घटना की जानकारी लगने के बाद मेकाज के अन्य सीनियर डॉक्टर मामले को सुलझाने के लिए ऊपर आये। पीपीई किट पहन कर हाथ में डण्डा लिए जो लोग आए थे वे डॉक्टर नहीं थे, बल्कि पुलिस जवान थे।। मृतक के परिजनों ने ड्यूटी में मौजूद डाक्टरों को जातिगत गालियों से संबोधित किया जिसे मना करने पर धक्का मुक्की शुरू होता देख पीपीई किट में तैनात जवान बीच बचाव करने लगे। लेकिन परिजनों ने एक वीडियो बनाने के बाद सोशल मीडिया में वायरल कर दिया कि मारपीट करने के साथ ही शव को बंधक बनाया गया है। मृतक की बेटी के साथ डॉक्टरों ने किसी भी तरह से मारपीट नही की है। जबकि जीजा मानव के द्वारा गाली गलौज के चलते उसके साथ धक्का मुक्की किये जाने की बात सामने आई है।

डॉ चंद्राकर ने आगे बताया कि जो वीडियो मृतक के परिजन यह कह कर दिखा रहे है कि डाक्टरों ने उन्हे बंधक बनाकर उनसे मारपीट की वो पूरी तरह गलत है। क्योंकि घटना सुबह 6 बजे की है और जिस समय परिजनों द्वारा यह विडियो बनाया गया उस समय लगभग साढ़े सात बज गए थे। इस दौरान पुलिस और अन्य स्टाफ वहां पहुंच गया था। जिन डंडों की बात सामने आ रही है वो पुलिस वालों के हाथ में हैं। जबकि मेकॉज परिसर के नीचे का जो विडियो सामने आया है उसमें मारपीट नहीं खींचा तानी हो रही है।

डाक्टरों ने उन पर लगे आरोपों को निराधार बताया है। डॉक्टरों ने उक्त परिवार के सदस्यों के खिलाफ मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट के तहत भी कार्रवाई करने की मांग रखी है। डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना काल में दिन रात हम मरीजो का इलाज कर रहे है और बस्तर का रिकवरी रेट पूरे छत्तीसगढ़ में अव्वल है।। ऐसे में डॉक्टर की चप्पलों से पिटाई करने वालो पर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए और अगर हमें न्याय नही दिलाया जा सकता तो हमें कोरोना वारियर्स भी न कहा जाए।