जगदलपुर। मुरिया दरबार में शामिल होने के लिए बुधवार को जगदलपुर पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल वैसे तो बेहद खुशमिजाज दिख रहे थे परंतु जैसे ही महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों की बात सामने आईं, उनकी भृकुटियां तन गईं। उनकी भाव-भंगिमाओं से यह लगने लगा कि वे इस मामले में बेहद गंभीर व संजीदा हैं। उन्हें कतई यह बर्दाश्त नहीं है कि महिलाओं के साथ किसी भी प्रकार की ज्यादिती करने वालों को बख्शा जाए।
मुरिया दरबार में शामिल होकर निकल रहे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का सामना महिला मीडिया से हो गया। दरअसल वहां एक बुजुर्ग व्यक्ति मुख्यमंत्री को कोई आवेदन देना चाहता था, उसे देखकर मुख्यमंत्री रुके तो महिलामीडिया ने यह कहकर उनका शुक्रिया अदा किया कि उन्होंने महिलाओं पर होने वाले अपराधों की जांच-पड़ताल तथा अपराधियों को संरक्षण देने वालों दंडित करने की जो बात की है, उसके प्रति प्रदेश की सभी महिलाएं उनकी शुक्रगुजार हैं। तब मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए तो उन्होंने माननीय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भी पत्र लिखकर आग्रह किया है कि इस तरह के मामलों के त्वरित निपटारे के लिए प्रत्येक जिले में फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाएं जाएं। इतना ही नहीं, उन्हों राज्य पुलिस को सख्त हिदायत दी है कि महिलाओं के साथ होने वाले किसी भी प्रकार के अत्याचार में किसी भी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दक्षिण छत्तीसगढ़ के एक जिले में पुलिस के दो अफसरों पर सख्त कार्रवाई करके मुख्यमंत्री ने अपना संदेश भी दे दिया है।
मुख्यमंत्री की इन बातों ने न केवल जगदलपुर या बस्तर अपितु पूरे प्रदेश की महिलाओं में एक नया विश्वास पैदा किया है। उन्हें यकीन होने लगा है कि भूपेश बघेल के राज्य में कम से कम वे अपराधी तो बख्शे नहीं जाएंगे, जो महिलाओं की अस्मिता के साथ खिलवाड़ करते हैं। मुख्यमंत्री की यह बातें पुलिस के उन अफसरों के लिए भी साफ संकेत अथवा चेतावनी हैं जो कानूनी दांवपेंच में फंसा कर महिलाओं से सम्बंधित अपराध करने वालों को मौका देते हैं। अब पुलिस मुख्यालय में इस तरह के अपराधों की निगरानी की जा रही है और बहुत जल्द उन अफसरों को नाप दिया जाएगा जिन्होंने ऐसे अपराधियों को बचने का रास्ता दिया है।
जहां तक मुख्यमंत्री का सवाल है तो उनकी स्पष्ट मान्यता है कि छत्तीसगढ़ में महिलाओं का मान-सम्मान बना रहे। घटनाओं को रोक पाना ना-मुमकिन हो सकता है परंतु घटना होने के बाद अपराधी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करके यह संदेश जरूर दिया जा सकता है कि सरकार कम से कम इस मामले में बेहद सख्त व संजीदा है। एक दिवसीय बस्तर प्रवास पर आए मुख्यमंत्री ने अन्य मुद्दों पर भले ही मीडिया से कोई बात नहीं की हो परंतु महिला मीडिया ने जैसे ही इस मुद्दे को उनके सामने रखा, वे मुखर हो गए और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में पलभर की देर नहीं की। बस्तर की धरा से मुख्यमंत्री का यह संदेश प्रदेश के अन्य जिलों के पुलिस अफसरों के साथ बस्तर के पुलिस अफसरों के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि वहां महिलाओं की स्थिति तुलनात्मक रूप से अधिक दयनीय है। वारदातों के बाद महिलाएं पुलिस तक पहुंच नहीं पाती हैं और जो पहुंचती हैं, उन्हें पुलिस के खाटी अफसर कानूनी दांवचेंप में फंसा देते हैं, जिसका सीधा फायदा अपराधियों को मिलता है। इसलिए बस्तर पुलिस को इस तरह के प्रकरणों में अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत है क्योंकि अब अगर महिलाओं के खिलाफ अन्याय का कोई मामला मुख्यमंत्री के पास पहुंचता है तो यकीन मानिए उस अफसर का कैरियर बरबाद होने में अधिक वक्त नहीं लगेगा।