जगदलपुर।विगत दिनों नगरीय प्रशासन के एक आदेश ने कोरोना संक्रमण के आपात काल मे सामाजिक संस्थाओं के द्वारा जरूरतमन्दों को राशन वितरण के कार्य पर रोक लगा दी थी। जिसके चलते एकाएक जरूरतमंदों तक राशन वितरण में मुश्किले पैदा हो गई थी। कई इलाकों में जरुतमन्दों को राशन नही मिलने की शिकायत मिल रही थी।इन परिस्थितियों को देख कर बस्तर अधिकार संयुक्त मुक्ति मोर्चा ने सरकार के सामाजिक संस्थाओं द्वारा भोजन वितरण पर लगाये प्रतिबंध पर आपत्ति उठाते हुए सवाल किया था कि यदि नियमो का पालन नही हो पा रहा है। तो सरकार संस्थाओ से बात कर हल निकाले न कि समाजिक संस्थाओं को प्रतिबंधित करे।
बस्तर अधिकार संयुक्त मुक्ति मोर्चा बस्तर संभाग के प्रवक्ता नवनीत चांद ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कहा है कि आपातकाल में कोरोना भी एक संक्रमण है जिसके खिलाफ युद्ध मे समाजिक संस्थाए भी सरकार की कार्य प्रणाली के समांतर भूमिका निभा रहे है। जो इस आपातकाल में बेहद जरूरी है। जिस से जरुतमन्दों को राहत मिल रही है।ऐसे में ताल मेल बिठाने की कोशिश किये बगैर सीधे संस्थाओ को उनके नेक कार्य करने रोकने का आदेश उन्हें हतोत्साहित करने जैसा है। इन बातों को लेकर मोर्चा के द्वारा शासन को मीडिया व सोसल मीडया के माद्यम से अपनी आपत्ति की आवाज बुलंद कर पुनः संस्थाओ को कार्य करने की अनुमति का निवेदन किया था । जिसे सरकार ने मान लिया व कुछ शर्तों के साथ जरूरतमन्दों को राशन वितरण करने की अनुमति दी है।
मोर्चा सरकार के इस सकारात्मक कदम का स्वागत करता है। व प्रशासन को धन्यवाद देता है। कि उन्होंने मोर्चा की आपत्ति पर सकारात्मक पहल कर सरकार से मध्यस्थता कर पुनः अनुमति बहाल करवाई। मोर्चा सभी सामाजिक संस्थाओ से अपील करता है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में नियमो का पालन करते हुए कोरोना व भूख के संक्रमण के खिलाफ युद्ध मे शासन के साथी बने और मानव समाज को बचाने में एक कारगर योगदान दे।वही दान दाताओं के अब तक के सहयोग के लिए मोर्चा धन्यवाद ज्ञापित करते हुए पुनः अपील करता है। कि पहले की तरह सहयोग दें। द्वितीय चरण के लॉक डाउन में भी जरूरतमन्दों तक राशन वितरण करने में अपना महत्वपूर्ण सहयोग कर कोरोना व भूख के खिलाफ लड़ने में हमारे सहभागी बनें।