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नक्सलियों की नीयत से बच्चा-बच्चा वाकिफ़, दुष्प्रचार करके बखेड़ा खड़ा करते हैं नक्सली-मनीष

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जगदलपुर। केन्द्र सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटाने व सीएए एवं एनआरसी कानून को लेकर नक्सलियों द्वारा अभी हाल ही के दिनों में सुकमा जिले के अंदरूनी इलाकों में पर्चे फेंककर विरोध सप्ताह मनाने का ऐलान किया गया है।

नक्सलियोें के विरोध सप्ताह मनाने को लेकर इस घटनाक्रम के परिपेक्ष्य में भाजपा युवा मोर्चा स्टेट वर्किंग कमेटी के मेम्बर मनीष पारख ने नक्सलियों की इस कायरतापूर्ण हरकत पर कटाक्ष करते हुए अपने जारी वक्तव्य में कहा है कि, देश में पढ़े-लिखे कुछ बुद्धिजीवी और देश को बांटने वाले लोग सीएए और एनआरसी में बिना अंतर समझे ही देश के एक वर्ग विशेष को दिग्भ्रमित कर अपना उल्लू सीधा करने में लगे हुए हैं।

ऐसे में इन्हीं बुद्धिजीवियों और देश के टुकड़े-टुकड़े गैंग के साथ मिलकर अब कायर नक्सली भी संविधान की दुहाई देने लग गए हैं। नक्सलियों की नीयत से आज छत्तीसगढ़ प्रदेश का बच्चा-बच्चा तक वाकिफ है कि, सत्ता प्राप्ति के यज्ञ में आहूति देने के लिए किस कदर यही नक्सली आयदिन किसी न किसी गरीब आदिवासी की हत्या, अपने ही संगठन में रहने वाली महिला नक्सलियों का बलात्कार, स्कूली बच्चों को पुलिस का मुखबिर बताकर उनकी निर्ममतापूर्ण तरीके से हत्या कर रहे हैं,आएदिन विकास एवं निर्माण कार्यो में लगे वाहनों को जलाकर विकासकार्यो में बाधा पहुचा रहे है।

मनीष ने अपने वक्तव्य में आगे कहा है कि, क्या इन नक्सलियों को सीएए और एनआरसी कानून की जानकारी भी है या फिर उन्हीं टुकड़े-टुकड़े गैंग की सिर्फ सुनी सुनाई बातों पर यकीन करके इस प्रकार की कायरतापूर्ण हरकत को अंजाम दे रहे हैं।

गरीब जनता को लूटने वाले और विदेशी पैसे से पल रहे नक्सली अपने मन से यह गलत फहमी निकाल दें कि, इस प्रकार से लोकतांत्रिक सरकार के फैसलों के विरूद्ध जहर उगलकर अपने मकसद में कामयाब हो जायेंगे। क्योंकि छत्तीसगढ़ प्रदेश जनता भी अब भलीभांति समझ चुकी है कि, नक्सली हमेशा से लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार के द्वारा बनाये गए कानूनों पर बखेड़ा खड़ा करके सिर्फ और सिर्फ दुष्प्रचार करने का काम करते हैं।

नक्सली जब गरीब आदिवासी की पीड़ा नहीं समझ सकते तो इस बात में भी कोई शंका नहीं होगी कि, पड़ोसी देशों के द्वारा सताए हुए अल्पसंख्यक हिन्दू, जैन, सिख, ईसाई, पारसी समुदाय के नागरिकों की पीड़ा भी नक्सलियों को समझ में आयेगी। नक्सली इस बात को अच्छी तरह से पहले समझ लें कि, सीएए कानून किसी भी भारतीय की नागरिकता छीन लेने का कानून नहीं है। बल्कि यह तो सिर्फ और सिर्फ नागरिकता देने का कानून है। रही बात एनआरसी की तो प्रत्येक देश का अधिकार होता है कि उसके देश में रहने वाले नागरिकों की जानकारी तो उनके पास रहे।