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बस्तर के इस आश्रम के डरे-सहमे बच्चे किससे करें फरियाद,क्या कोई सुनेगा इनकी बेबसी की कहानी….

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जगदलपुर। शराबी अधीक्षक, आधे पेट खाना, शिकायत करने पर प्रताड़ना, उदास बच्चे और बेबस माता पिता। बस्तर जिले के सोरगांव बालक आश्रम की स्थिति को बयां करती चंद लाइनें। काफी शिकायतें मिलने के बाद इन बच्चों के हालात का जायजा लेने महिला मीडिया डॉट इन की टीम बालक आश्रम सोरगांव पहुंची। बच्चों ने जो बताया उसे सुनकर मन बड़ा व्यथित हुआ।

इन बच्चों को कीड़ों वाला चावल और पतली सी दाल परोसी जाती है। सब्जी के दर्शन कभी-कभी होते हैं और जब से नए सत्र की शुरुआत हुई है इन्हें सिर्फ एक बार ही चिकन दिया गया है। मैन्यू के हिसाब से बच्चों को खाना नहीं दिया जा रहा है। पेट भर खाना भी इन बच्चों को नसीब नहीं हो रहा है। कमरों में पंखे तो लगे हैं लेकिन आधे से ज्यादा खराब है। सारी रात बच्चों को मच्छर काटते हैं जिसकी वजह से वे सो नहीं पाते।

किसी प्रकार की खेल सामग्री ना होने की वजह से वे खेल का सामान अपने घरों से लेकर आते हैं और फिर ये बच्चे अपनी पसंद का खेल खेलते हैं। कुछ बच्चों ने साहस करके जब बीइओ से अधीक्षक की शिकायत की तो उन्हें बहुत ज्यादा डांट पड़ी। साथ ही शराबी अधीक्षक द्वारा कई तरीको से उन्हें प्रताड़ित भी किया गया। ये बच्चे अपने दिल का दर्द किससे कहें। अपने माता-पिता को जब वे अपनी तकलीफों के बारे में बताते हैं तो माता-पिता इतने बेबस और लाचार हैं कि चाहकर भी अपने बच्चों की सहायता नहीं कर पा रहे हैं।बस इन बच्चों की आंखों में एक ही प्रश्न है कि क्या कोई हमारी कहानी सुनेगा? क्या हमें भी अच्छी सुविधाएं मिलेंगी?