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कीड़ों वाला भोजन खाकर और गंदा पानी पीकर बस्तर जिले के इस आश्रम की बच्चियां कैसे गढ़ेंगी सुनहरा भविष्य, देखिये हमारी विशेष रिपोर्ट

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जगदलपुर।बस्तर के आदिवासी बच्चों के भविष्य को गढ़ने के लिए सरकार ने बहुत सारी योजनाएं बनाई हैं। उनकी शिक्षा के लिए जगह-जगह आश्रम और पोटा केबिनों का निर्माण किया गया है। उन आश्रमों में बच्चों की क्या स्थिति है यह जानने के लिए हम पहुंचे बस्तर जिले के सोरगांव कन्या आश्रम में जहां की छात्राएं मूलभूत सुविधाओं को तरस रही है।

आश्रम की बच्चियों ने बताया कि उन्हें जो खाना दिया जाता है उसमें कीड़े होते हैं।दाल भी कच्ची पक्की बना कर खानापूर्ति कर दी जाती है। शनिवार को स्कूल सुबह होने की वजह से उन्हें नाश्ता तक नसीब नहीं होता।यहां की छात्राएं गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। दूर के नल से साफ पानी लाकर खाना बनाया जाता है। नहाने के लिए भी यहां की बच्चियां पास के नाले के पास जाती हैं और कभी भी किसी प्रकार की दुर्घटना का शिकार हो सकती हैं।

सोरगांव कन्या आश्रम की बच्चियां इन समस्याओं से कई सालों से जूझ रही हैं लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि किसी भी अधिकारी या जनप्रतिनिधि ने कभी इनकी सुध नहीं ली। पूर्व मंत्री केदार कश्यप और पूर्व सांसद दिनेश कश्यप के गृह ग्राम फरसागुड़ा के साथ ही सटे सोरगांव के कन्या आश्रम की बच्चियों की तकलीफें इन जनप्रतिनिधियों को कभी सुनाई ही नहीं दीं। कल ही इस कन्या आश्रम की एक छात्रा रसोइए की लापरवाही की वजह से गरम दाल के बर्तन में गिर गई थी। वह लगभग आधी जल चुकी है जिसका इलाज डिमरापाल मेडिकल कॉलेज जगदलपुर में किया जा रहा है।

मामला संज्ञान में आते ही सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग डॉ आनंद जी सिंह ने मेडिकल कॉलेज पहुंच कर पीड़िता का हाल जाना। यही नहीं वे कन्या आश्रम सोरगांव में भी मामले की तहकीकात करने और छात्राओं की समस्याओं से रूबरू होने पहुंचे। उन्होंने तत्काल कार्रवाई करते हुए दोनों रसोइयों को हटाने के आदेश दे दिए हैं। साथ ही डॉ आनन्द जी सिंह ने बताया कि उक्त कन्या आश्रम को नए भवन में शिफ्ट किया जाएगा। खाने की समस्या भी दूर की जाएगी तथा पीने का साफ पानी भी उन्हें उपलब्ध करवाया जाएगा।