जगदलपुर। कल हमने एक खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी कि किस तरह प्राथमिक शाला महुपाल बारी का शिक्षक विकास श्रीवास्तव लोहे की रॉड से बच्चों की बेदम पिटाई करता है और साथ ही साथ वह शराब के नशे में धुत रहता है और बच्चों को पढ़ाता भी नहीं है। कभी कभी ही स्कूल में उपस्थित रहने वाला यह शिक्षक फर्जी दस्तावेजों के सहारे विगत 13 सालों से नौकरी कर रहा है। उसके द्वारा जो दस्तावेज जमा करवाए गए हैं लगभग सभी फर्जी हैं।
सूचना के अधिकार के तहत जो जानकारी हमें मिली है उसके मुताबिक विकास श्रीवास्तव पिता प्रमोद श्रीवास्तव ने जो दस्तावेज जमा किये हैं। उसमें उल्लेख है कि उसने 12वीं की परीक्षा निर्मल विद्यालय से पास की है जबकि उसने मेरठ के स्कूल का 12 वीं का सर्टिफिकेट लगाया है। निर्मल विद्यालय के प्राचार्य ने बताया कि उसने 12 वी की पढ़ाई वहां से नहीं की है। अन्य दस्तावेज भी संदेह के दायरे में हैं।
विकास श्रीवास्तव ने प्राथमिक शाला चंदना,मगरलोड, जिला धमतरी का अनुभव प्रमाण पत्र संलग्न किया है। प्राथमिक शाला चंदना के प्रधान पाठक,मगरलोड के beo और सीईओ ने भी सूचना के अधिकार के तहत जानकारी दी है कि विकास श्रीवास्तव ने कभी भी प्राथमिक शाला चन्दना में काम नहीं किया है।साथ ही प्रधान पाठक ने यह भी जानकारी दी है कि प्राथमिक शाला चन्दना जनभागीदारी शाला नहीं है। इस प्रकार विकास श्रीवास्तव विगत 13 वर्षों से शासन की आंखों में धूल झोंक कर लाखों रुपए की सैलरी ले चुका है।
पूर्व में भी महिला मीडिया समाचार पत्र ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। खबर के प्रकाशन के बाद संबंधित दस्तावेज तत्कालीन कलेक्टर अमित कटारिया ने उपलब्ध करवाने को कहा था। जो हमने उन्हें उपलब्ध करवाए थे। तत्पश्चात उन्होंने आदेश किया था कि इस मामले की जांच की जाए और जांच का जिम्मा सीईओ जनपद पंचायत बस्तर को दिया गया। जिन्होंने किसी प्रकार की जांच नहीं की। विगत कुछ सालों में लगभग सभी बीईओ और बीआरसी के संज्ञान में यह मामला रहा है लेकिन किसी ने भी जांच करने की जहमत नहीं उठाई। सूत्रों के मुताबिक लगभग सभी अधिकारियों को विकास श्रीवास्तव मोटी रकम पहुंचाता रहा है।
खबर के प्रकाशन के बाद उच्चाधिकारियों के संज्ञान में यह मामला आया है। उन्होंने आश्वासन भी दिया है कि मामले की जांच की जाएगी। विकास श्रीवास्तव की शैक्षणिक योग्यता से संबंधित सारे दस्तावेज महिला मीडिया डॉट इन ने अधिकारियों को उपलब्ध करवाए हैं।अब देखना यह होगा कि उक्त शिक्षक के खिलाफ किस तरह की कार्रवाई जिला प्रशासन करेगा।