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बस्तर की जीवन दायिनी इंद्रावती नदी को बचाने सातवें दिन भी जारी रही पदयात्रा, किसान भी जल संकट को लेकर चिंतित

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जगदलपुर- बस्तर की जीवन दायिनी इंद्रावती नदी को बचाने के लिए पदयात्रा जारी है.इन 7 दिनों में बड़ी संख्या में ग्रामीण पदयात्रा में शामिल हुए.बस्तर की चिंता करने वाले लोग सुबह सवेरे अपने घरों से निकलकर पदयात्रियों के काफिले में शामिल हो रहे हैं,अब गांव गांव के लोग बस्तर में पानी बचाने के इस मिशन में तारीफ करते हुए सहभागी बन रहे है.

सातवें दिन की पदयात्रा ग्राम बालीकोंटा से घाटपदमुर तक चली.साढ़े 7 किलोमीटर की पदयात्रा उबड़ खाबड़ रास्ते से होकर गुजरी,कई जगह छोटे नाले भी आए तो खेत खलियान के बीच से भी लोगों ने पदयात्रा की.यात्रा के रास्ते में कई किसान खेतों में हल चलाते भी नजर आए.उन्होंने भी जल संकट को लेकर गंभीरता जताई है.हालांकि कल हुई बारिश ने किसानों के चेहरे खिला दिए पर उन्हें इस बात की भी चिंता है कि आने वाले समय में इंद्रावती नदी का पानी सूख जाने से उनके खेतों की सिंचाई नहीं हो पाएगी,पास ही के कुछ गांव के लोग भी पदयात्रा में शामिल हुए.

गांव वालों का कहना था कि अक्सर उनके मवेशी इंद्रावती नदी में पानी पीने आते हैं और अब उन्हें इस बात की चिंता सता रही है कि आने वाला भविष्य कैसा होगा. जरूरत है कि लोग जल संचय करने के लिए सरकार पर दबाव बनाएं, ग्रामीणों ने कहा कि आसपास कई खाली सरकारी जमीन है.जहां बारिश का पानी इकट्ठा किया जा सकता है.सरकार को चाहिए कि यहां बड़े तालाब या बैराज बना दें.ताकि पानी को सुरक्षित रखा जाए.यही पानी गर्मियों के वक्त मवेशियों के लिए काम आएगी,.

मंगलवार को संपन्न पदयात्रा में कृषि महाविद्यालय के अधिकारी और छात्रों ने भी पदयात्रा का साथ देते हुए यात्रा के साथ चलें और इंद्रावती नदी को बचाने नारे लगाते रहे,सातवें दिन की पदयात्रा कुड़कानार मार्ग में बने पुल पर संपन्न हुई,यहां लोगों ने ह्यूमन चेन बनाकर पानी बचाने का संदेश दिया,बुधवार की यात्रा इसी पुल से शुरू होकर ग्राम करंजी तक जायेगी,मंगलवार को कृषि महाविद्यालय के छात्र अधिकारी सहित बड़ी संख्या में नगरवासी और ग्रामवासी पदयात्रा में शामिल हुये.