नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव (Election 2019) बीएसपी सुप्रीमो मायावती साफ कह चुकी हैं कि अगर उनको प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला तो वह उत्तर प्रदेश की अंबेडकरनगर सीट से चुनाव लड़ेंगी. हालांकि इस पद की एक और दावेदार बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी मायावती की इस महात्वाकांक्षा से ज्यादा खुश नहीं हो सकती. भले ममता बनर्जी गैर कांग्रेस और गैर बीजेपी का नारा देकर बाकी दलों का नेता बनने की कोशिश कर रही हों लेकिन अब मायावती भी सधे पांव समीकरणों को साधने में जुटी हुई हैं.
मायावती के लिए क्यों बढ़ रहा है समर्थन
मायावती के लिए समर्थन भी बढ़ रहा है. बीएसपी ने विधानसभा चुनाव से पहले ही कर्नाटक में एचडी देवगौड़ा की पार्टी जनता दल सेक्युलर के साथ गठबंधन किया था और फायदा यह रहा कि उसके कोर वोटरों ने जेडीएस का भरपूर साथ दिया साथ ही बीएसपी एक सीट निकालने में कामयाब हो गई. कर्नाटक का सीएम बनते ही कुमारस्वामी ने कहा हालात बनने पर वह पीएम पद के लिए मायावती का समर्थन करेंगे. इसके बाद हरियाणा के और कद्दावर नेता अभय चौटाला ने भी मायावती को समर्थन की बात कही.
अगर एनडीए- यूपीए को बहुमत के आसपास सीटें नहीं मिलती है तो कांग्रेस अन्य दल जो यूपीए में साथ नही हैं उनको साथ लेकर देश का पहला दलित पीएम बनाने के लिए मायावती को समर्थन दे सकती है. कांग्रेस के पास दलितों वोटरों का दिल जीतने का भी मौका मिल जाएगा. वैसे भी कांग्रेस नेता सीना ठोक कहते हैं कि उनकी पार्टी ने ही सबसे पहले किसी दलित को कमान सौंपी थी. पहले दलित राष्ट्रपति (केआर नारायणन) बनाया, फिर पहली दलित महिला स्पीकर (मीरा कुमार) को बनाया. सुशील कुमार शिंदे देश के पहले दलित गृहमंत्री बने और कांग्रेस के कार्यकाल में ही देश को पहला दलित प्रधान न्यायाधीश (जस्टिस केजी बालकृष्णन) मिले.
कहां है मायावती की ताकत
मायावती के पास कम से कम 18 राज्यों में ठीक समर्थन है. उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में उनके पास इतना तो वोट है जो किसी भी गठबंधन को साथी फायदा पहुंचा सकता है. हालांकि बीएसपी की पहुंच अभी उत्तर-पूर्व राज्यों में नहीं हुई है. लेकिन मायावती की पीएम की कुर्सी तक पहुंचने समीकरण ही नहीं अंकगणित भी बहुत कुछ तय करेगा. एनडीए अगर 240 के आसपास सिमट जाए और उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन की 50 सीटें आती हैं तो हो सकता है यूपीए और अन्य दल मिलाकर एक मायावती की अगुवाई में नई सरकार बन सकती है. लेकिन उस परिस्थिति में यूपीए को 100 और अन्य के पास 150 सीटें होनी चाहिए.
क्या बीजेपी दे सकती है मायावती को समर्थन
अगर 150 सीटों के आसपास सिमटती है और एनडीए को कुल 200 सीटें आती हैं तो और यूपी में सपा-बसपा गठबंधन 50 सीटें जीतती है तो इस परस्थिति में बीजेपी भी कांग्रेस को किसी भी कीमत में रोकने के लिए मायावती को पीएम पद का ऑफर दे सकती है. हालांकि ऐसी सरकार कितनी दिन तक चलेगी इसका आकलन भी पुराने इतिहास से तय किया जा सकता है.