जगदलपुर । अस्तित्व खोती बस्तर की जीवनदायिनी नदी इंद्रावती के संरक्षण और संवर्धन के लिए बस्तर की जनता ने आज एक एतिहासिक शुरूवात की । दंडक दल के सदस्यों के साथ बस्तर की कई सामाजिक, सांस्कृतिक और व्यापारिक संस्थाओं ने मिलकर सांकेतिक जल सत्याग्रह का आयोजन किया । लोगों ने आधे घंटे तक पानी में मौजूद रहकर इंद्रावती के संरक्षण के लिए नारे लगाए और जोरा नाला मुद्दे पर निर्णायक पहल की अपील की ।
ग्रीष्म ऋतु के शुरूवात में ही इंद्रावती नदी के सूखने की स्थित से चिंतित बस्तर की जनता ने सांस्कृतिक और पर्यटन संवर्धन की संस्था दंडक दल की अगुवाई में आज सुबह जगदलपुर स्थित पुराने पुल के समीप सांकेतिक जल प्रदर्शन किया । बड़ी संख्या में मौजूद जनसमूह ने नदी के जल में खड़े रहकर इंद्रावती के संरक्षण और संवर्धन की आवाज़ बुलंद की । इंद्रावती बचाओ के नारों के साथ प्रदर्शनकारियों ने जोरा नाला विवाद के लिये निर्णायक क़दम उठाने कि अपील हुक्मरानो से की ।
दंडक दल के संस्थापक सदस्य अविनाश प्रसाद ने जानकारी देते हुवे बताया कि यह शुरूवाती आयोजन है और आवश्यकता पड़ने पर इंद्रावती नदी के लिए व्यापक आंदोलन किए जाएँगे । संस्था के हेमंत कश्यप ने कहा की इंद्रावती बस्तर ही नही बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ की गौरव है और हर हाल में इसके अस्तित्व की लड़ायी जारी रहेगी । संस्था की करमजीत कौर ने कहा कि इंद्रावती नदी और चित्रकोट जलप्रपात के वजूद को बचाये रखने बस्तर की जनत प्रतिबद्ध है। हम सब मिलकर बस्तर की जीवनदायिनी इंद्रावती नदी के संरक्षण के लिए प्रयास करेंगे।
आयोजन में बड़ी संख्या में आदिवासी समाज, अखिल भारतीय हल्बा समाज, बस्तर चेंबर ओफ कामर्स, किसान संघ, अग्नि, पतंजलि योग समिति, बस्तर प्रकृति बचाओ समिति समेत अन्य संस्थाओं के लोग मौजूद रहे ।