जगदलपुर। वर्तमान कांग्रेसी सरकार के द्वारा पुलिस कर्मियों को मिलने वाले नक्सल भत्ते को बंद करने के फैसलें पर जगदलपुर विधानसभा के पूर्व विधायक संतोष बाफना ने चिंता जाहिर कर भूपेश सरकार के इस फैसले की जमकर भर्त्सना करते हुए कहा कि, छत्तीसगढ़ राज्य का बस्तर संभाग एक अघोषित रणभूमि है। बस्तर में तैनात जवान कभी खेतों की मेड़ पर तो कभी पेड़ों पर लटकते हुए अपनी ड्यटी पूरी करते है। बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात जिला पुलिस बल, छग सशस्त्र बल, डीआरजी और एसटीएफ के जवान जो रोजाना अपनी जान जोखिम में डालकर बस्तर जैसे अंतिसंवदेनशील नक्सल क्षेत्रों में काम रहे है। जहाॅं लगातार नक्सली गतिविधियां चलते रहती है। जिसके कारण नक्सल क्षेत्रों में तैनात जवानों पर हर समय जान का खतरा मंडराते रहता है। यहां केन्द्रीय सुरक्षा बल के साथ जिला पुलिस बल एवं राज्य पुलिस बल के जवानों का भी खून-पसीना बह रहा है। आम नागरिकों के लिए ये पुलिस बल के जवान भुखे पेट रहकर नक्सलियों से लोहा ले रहे है इतना ही नहीं दूरस्थ जंगलों में बारूदी सुरंगों के बीच जान पर खेलकर ड्यूटी कर अपना कर्तव्य का पालन कर रहे है और ये जवान कभी अपना दर्द भी किसी से साझा भी नहीं करते ।
श्री बाफना ने आगे कहा कि पुलिस कर्मियों की इस पीड़ा को समझने की बजाय इस कांग्रेसी सरकार ने नक्सल क्षेत्र में तैनात पुलिस कर्मियों के साथ छलावा करते हुए उनके मनोबल को तोड़ने का काम किया है। अपने घोषणा पत्र में पुलिस कर्मियों के लिए किए गए वादों को भूलकर हमारे सुरक्षा बल के तमाम भाई-बहनों के साथ छत्तीसगढ़ कांग्रेस की सरकार ने नक्सल भत्ता बंद कर उनके पेट पर लात मारने का काम किया है। यही कांग्रेस की सरकार चुनाव के वक्त अपने आप को पुलिस कर्मियों का हितैषी बताती थी।
सन्तोष बाफना ने कहा कि हमारी पूर्ववर्ती सरकार के द्वारा पुलिस कर्मियों को अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में कार्यरत् पुलिस बल को 50 फीसदी, संवदेनशील क्षेत्रों में कार्यरत् पुलिस बल को 35 फीसदी एवं सामान्य नक्सल प्रभावित इलाके में काम कर रहे पुलिस बल को 15 फीसदी नक्सल भत्ता उनकी हौसला अफजाई के रूप में दिया जाता था । श्री बाफना ने वर्तमान सरकार को आगाह करते हुए कहा कि भूपेश सरकार को इस फैसलें को वापस लेकर हमारे पुलिस के भाई-बहनों को जो मामूली सी राशि नक्सल भत्ते के रूप में दी जाती है उसे फिर से लागू करना होगा। अगर इस फैसले को वापस नहीं लिया जाता तो वृहत् स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।