जगदलपुर । 20 वर्षों से छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच इंद्रावती नदी पर पानी के हक़ के लिए चल रहे विवाद के बावजूद अब तक कोई निर्णायक फ़ैसला न आने की वजह से बस्तर में ग्रीष्म ऋतु में इंद्रावती नदी सूख जाती है । इन दिनो भी इंद्रावती नदी का जल स्तर बेहद कम हो चला है और बस्तर में पानी के लिए त्राहिमाम मचा हुआ है । आलम ये है की चित्रकोट जलप्रपात का इन दिनो अस्तित्व ही समाप्त हो गया है । इंद्रावती जल संकट पर निर्णायक उपाय की माँग के साथ बस्तर की पर्यटन एवं संस्कृति के क्षेत्र में काम करने वाली अग्रणी संस्था ” दंडक दल” आंदोलन शुरू कर रही है । केवल चित्रकोट जलप्रपात की रक्षा नही बल्कि समूची इंद्रावती नदी के अस्तित्व की रक्षा के लिए दंडक दल आंदोलन की तैयारी में है । इसके अंतर्गत सबसे पहले संस्था के सदस्य जगदलपुर की जागरूक जनता के साथ इंद्रावती नदी में आधे डूबे रहकर जल सत्याग्रह करेंगे ।
दंडक दल के संस्थापक सदस्य अविनाश प्रसाद ने जानकारी देते हुुुए बताया कि 31 करोड 50 लाख रूपए कंट्रोल स्ट्रक्चर बनाने के लिए छग सरकार ने ओड़िशा सरकार को दिए थे। 2012 में दोनों राज्यों के बीच कंट्रोल स्ट्रक्चर निर्माण के लिए संधि हुयी थी। 1999 में मप्र के सीएम दिग्वजय सिंह और ओड़िशा के सीएम गिरधर गोमांग के बीच जल बंटवारे को लेकर सहमति बनी। 1 लाख 25 हजार लोगों की सिर्फ जगदलपुर में ही इंद्रावती प्यास बुझा रही है। 20 सालों से इसका पानी जोरा नाला में जा रहा है और 200 गांव के लोग हैं इस पर आश्रित। 390 किमी क्षेत्र में फैली इंद्रावती नदी के अस्तित्व के लिए व्यापक आंदोलन चलाया जाएगा।
वहीं दण्डक दल की संस्थापक सदस्य श्रीमती करमजीत कौर ने कहा कि बस्तर की जीवन दायिनी नदी इंद्रावती में जलस्तर का कम होना चिंता का विषय है। चित्रकोट जलप्रपात विश्व विख्यात है। बस्तर की इस धरोहर को बचाने हम सबको एक मंच के तले एकत्रित होकर आवाज उठानी चाहिए। बस्तर की जनता से अपील है कि इंद्रावती के अस्तित्व को बचाने जल सत्याग्रह में शामिल होकर इस आंदोलन का हिस्सा बनें।