जगदलपुर। आपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और सुविधा देने के लिए बनाये गए आश्रमों में अव्यवस्थाओं की बातें तो अक्सर सुनी होंगी। लेकिन हम आपको बस्तर के एक ऐसे आश्रम के बारे में बताने जा रहे हैं जहां कि अधीक्षिका ने सरकारी पैसे डाकरने का क्या खूब तरीका निकाला कि आप सुनकर हैरान हो जायेंगे। आज हम बात कर रहे हैं बस्तर ब्लॉक के सोरगांव में मौजूद 100 सीटर आदिवासी कन्या आश्रम की जहां की अधीक्षिका द्वारा भूत प्रेत की कहानी सुनाकर छात्राओं के नाम पर आ रहे लाखों रूपये डकारे जा रहे हैं। यही नहीं अधीक्षिका के बुरे बर्ताव और सुविधाओं की कमी के चलते ज्यादातर छात्राएं आश्रम छोड़ चुकी है। जिम्मेदारों को खबर होने के बावजूद वे मुकदर्शक बने हुए हैं।
आश्रम में भूत है…..
इस मामले की पड़ताल करने हम सोरगांव पहुंचे। हमने मिडिल स्कूल और प्राथमिक शाला की छात्राओं से बात की तो उन्होंने और भी कई खुलासे किये। छात्राओं का कहना है कि आश्रम में भूत है, कई बार छात्राएं बीमार हो जाती हैं तो मैडम कहती है कि आश्रम में भूत है, वह पकड़ लिया होगा। वे छात्राओं को झाडफूँक के लिए किसी ग्रामीण के पास भी लेकर जाती हैं। इसलिए कई छात्राओं ने आश्रम छोड़ दिया।
बेटियों की सुरक्षा खतरे में
सारे नियम कायदे को ताक में रखकर इस आश्रम की अधीक्षिका कन्या छात्रावास में अपने पति को साथ रखती है। उसका पति आश्रम के अंदर खुलेआम शराबखोरी करता है। इस बात की जानकारी आश्रम की बालिकाओं ने दी। यही नहीं शराब के नशे में वह बालिकाओं से बदतमीजी और अपशब्दों का इस्तेमाल भी करता है। सवाल यह है कि यदि छात्राओं के साथ कोई अनहोनी होती है तो इसका जिम्मेदार कौन है?
सुविधाओं के अभाव में छोड़ा आश्रम
बालिकाओं का कहना है कि जब वे कन्या आश्रम में रहती हैं तो उन्हें ना ही तेल साबुन मिलता है और ना ही जरूरी वस्तुएँ दी जाती हैं है। यहां तक कि अधीक्षिका द्वारा उन्हें गालियां दी जाती है और बुरा बर्ताव भी किया जाता है इसलिए वे आश्रम में रहना पसंद नहीं करती और अपने घर पर ही रहती हैं। कन्या आश्रम की बालिकाए अधीक्षिका के जोर जबरदस्ती करने पर सिर्फ हाजिरी लगाने ही छात्रावास में जाती हैं।
फर्जी संख्या बता किया लाखों का गबन
महिला मीडिया ने जब पड़ताल की तो आश्रम की 32 छात्राओं के नाम मिडिल स्कूल में और 24 छात्राओं के नाम प्राथमिक स्कूल के रजिस्टर में दर्ज होने की जानकारी मिली। कुल मिलाकर 56 छात्राओं के नाम स्कूल के रजिस्टर में दर्ज हैं लेकिन छात्राओं के अनुसार मिडिल स्कूल की सिर्फ 17छात्राएं ही आश्रम में रहती हैं। लेकिन अधीक्षिका कन्या आश्रम में दर्ज बच्चों की संख्या 93 बताकर न सिर्फ उनके साइन करती है अपितु बकायदा सभी बच्चों के नाम पर मिलने वाली राशि का गबन भी कर रही है।
आदिवासी विकास विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक आदिवासी कन्या छात्रावास में एक बच्चे पर सरकार हर महीने 1 हजार रुपये खर्च करती है।इस हजार रुपए में बालिकाओं के खाने पीने से लेकर उन्हें साबुन तेल और अन्य जरूरी सामान भी दिया जाता है। द्रौपदी यादव 2017 से सोरगांव कन्या आश्रम में अधीक्षिका के पद पर कार्यरत है। द्रौपदी यादव के द्वारा 93 बच्चों की दर्ज संख्या बताते हुए शासन की आंखों में धूल झोंककर बच्चो को मिलने वाली राशि का आहरण किया जा रहा है और शासन के लाखों रुपए का गबन किया जा रहा है।
पति मेरे साथ ही रहते हैं
इधर आश्रम की अधीक्षिका द्रोपदी यादव ने खुद माना है कि उनके पति जिनकी उम्र करीब 30 साल है दिन रात इसी कन्या आश्रम में रहते हैं। चूंकि आश्रम में गार्ड नहीं है और भूत भी है इसलिए वे उन्हें अपने साथ रखती हैं। अधीक्षिका ने अपने बचाव में कहा कि इस कन्या छात्रावास में भूत प्रेत का साया है। कई बार छात्राओं को भूत ने पकड़ा है। मैंने झाडफूँक कर उनका बड़ी मुश्किल से इलाज करवाया है। यही वजह है कि छात्राएं यहां नहीं रुकती और अपने घर में ही रहना पसंद करती है।
काले करनामे के और भी हैं हिस्सेदार
प्रथम दृष्टया यही पता चलता है कि बड़ी चालाकी से भूत प्रेत के नाम पर स्कूलों में 56 बच्चों की संख्या दर्ज होने के बावजूद अधीक्षिका 93 बालिकाओं की संख्या बताकर हर महीने शासन के हजारों रुपए का गबन कर रही है। काफी लम्बे समय से इस आश्रम में इसी तरह भ्रष्टाचार का खेल चला आ रहा है। हालांकि अधीक्षिका का कहना है कि मै अकेली जिम्मेदार नहीं हूं मेरे साथ कुछ कर्मचारी और अधिकारी भी शामिल हैं जिन्हें हर महीने वे उनका हिस्सा देती हैं।
दोषियों पर होगी कड़ी कार्रवाई-कलेक्टर
इस पूरे मामले में बस्तर कलेक्टर चंदन कुमार का कहना है कि यह मामला काफी गंभीर हैं। ऐसे में एक कमेटी बनाकर जांच की जाएगी और जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके ऊपर कड़ी कार्यवाही की जाएगी।