जगदलपुर। बस्तर के ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूली छात्रायें छेड़खानी और यौन उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं। उस गांव या आसपास के गांवों के लड़के उन्हें छेड़ते हैं,उनके साथ अश्लील हरकतें करते हैं। सोशल मीडिया में उन्हें बदनाम करते हैं। दुखद यह है कि वे जागरूकता के अभाव में या डर की वजह से अपनी पीड़ा किसी को बता भी नहीं पातीं। घुटती रहती हैं अंदर ही अंदर। उन्हें कोई सहारा नहीं दिखता जिससे वे अपनी बातें उनसे कहा सकें।
तोकापाल ब्लॉक के एक स्कूल में जब महिला मीडिया डॉट इन की टीम छात्राओं से मिलने पहुंची तो जो हकीकत हमें सुनने को मिली। निश्चित ही वह काफी चौंकाने और डराने वाली थी। नाम न छापने की शर्त पर एक छात्रा ने बताया कि लोहंडीगुड़ा क्षेत्र में अच्छी पकड़ रखने वाले एक भाजपा नेता का रिश्तेदार जो कि धरमपुरा जगदलपुर में रहता है उसे अक्सर छेड़ता है। वह लगभग हर रोज गाँव आता है तो उसे अश्लील इशारे करता है। उसे गलत तरीके से छूने का प्रयास करता है। मना करने पर अपने राजनीतिक रसूख का दबाव डालता है। वह युवक कहता है कि थाने जा या कहीं और शिकायत कर, कोई मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। तू जानती नहीं है कि मेरे चाचा कितने बड़े नेता हैं। वह लड़की डरी सहमी है। बहुत चिंतित हैं। उसे समझ में नहीं आ रहा है कि वह किससे मदद मांगे। वह अपने माता पिता को इसलिए नहीं बताना चाहती क्यंकि उसे डर है कि कहीं वे उसकी पढ़ाई न छुड़वा दें।
एक अन्य छात्रा अपनी आपबीती बताते हुए रो पड़ी। उसके गांव का एक लड़का उसके बारे में सोशल मीडिया में गलत प्रचार कर रहा है। वह उसे चरित्रहीन साबित करने पर तुला हुआ है। गन्दे कमेंट्स कर वह उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा है। उस छात्रा का कसूर सिर्फ इतना है कि उसने उस लड़के से शारीरिक संबंध बनाने से मना कर दिया।
तीसरी छात्रा अपनी दीदी की पीड़ा बताने आई थी। उसका कहना था कि उसकी दीदी का पास के गांव के किसी लड़के से प्रेम सम्बन्ध था। उस लड़के ने उसकी दीदी को गर्भवती होने के बाद छोड़ दिया। अब वह एक बच्चे की मां बन चुकी है। वह लड़का उसे अपने साथ रखना नहीं चाहता। दीदी और उसके माता पिता बहुत परेशान है।
बस्तर की इन तीन बेटियों ने अलग अलग कहानी सुनाई। यह सिर्फ तीन बेटियों की व्यथा नहीं है,यह तो बस्तर की पता नहीं कितनी बेटियों की पीड़ा है जो आगे आकर अपनी बात कह नहीं पाती। ये तीनों कुछ भय से और कुछ सामाजिक बदनामी के डर से पुलिस के पास जाना नहीं चाहतीं।
सवाल बहुत बड़ा है। बस्तर की बेटियां विपरीत परिस्थितियों में भी पढ़कर अपना भविष्य संवारना चाहती हैं। बस्तर की दशा बदलना चाहती हैं। लेकिन जिस तरह वे मानसिक दबाव एवं तनाव से गुजर रही हैं,इस हालत में वे कैसे पढ़ पाएंगी,कैसे आगे बढ़ पाएंगी। क्या कोई सुनेगा उनकी फरियाद?