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आयरन लेडी:ये है बस्तर का गौरव, ऊर्जा से लबरेज,हमेशा लोगों की सेवा में तत्पर, आईये जानें,सेवा निवृत शिक्षिका एवं समाज सेविका सुश्री अनिता राज की कहानी उन्हीं की जुबानी

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जगदलपुर। महिलामीडिया डॉट इन की श्रृंखला आयरन लेडी में हम आपसे रूबरू करवा रहे हैं बस्तर की गौरव,हर जरूरतमंद की मदद करने वाली जगदलपुर शहर की सेवा निवृत शिक्षिका एवं समाज सेविका सुश्री अनिता राज से।

वे किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। बस्तर के कोई ऐसा व्यक्ति नहीं होगा जो सुश्री अनिता राज को न जानता हो। सर्वगुणसम्पन्न, कई विधाओं में माहिर, हर दुखी की यथा संभव मदद करने वाली अनिता राज कहती हैं कि मुझे उपरोक्त सेवा कार्य करके बहुत आत्मिक सुख प्राप्त होता है । यह मेरा सौभाग्य है कि मेरे द्वारा किसी जरूरतमंद की आवश्यकता की पूर्ति हो रही है । मैने सोचा है कि मैं सेवा कार्य करती रहूंगी । मैं एक सेवानिवृत शिक्षिका हूँ । मेरी आवश्यकता की पूर्ति के पश्चात् जो पैसे बचते हैं उनसे मैं यह सेवा कार्य करती हूँ।

सुश्री अनिता राज बताती हैं मैं विगत 20-25 वर्षों से सेवा कार्य कर रही हूं।मेरी संस्था के जो बच्चे फीस नहीं भर सकते थे और किताबें नहीं खरीद सकते थे। उनको मैं खरीद कर देती थी। इस प्रकार सेवा कार्य करते हुए मुझे राष्ट्रीय,अन्तर्राष्ट्रीय तथा अन्य अवार्ड मिले।

मैंने नारायण सेवा संस्थान उदयपुर में 51हजार एवं पंद्रह हजार की राशि अपंग बच्चों के आपरेशन हेतु दी।इसलिए मुझे अन्तर्राष्ट्रीय अवार्ड समारोह में राष्ट्रीय गौरव अवार्ड दिया गया । मुझे दलित साहित्य अकादमी के द्वारा दिल्ली में सावित्री बाई फूले अवार्ड से सम्मानित किया गया।जब भी देश पर आपदा आई है मैंने बढ़ चढ़कर लोगों की मदद की है। कभी प्रधानमंत्री कोष में या कभी मुख्यमंत्री कोष में मैने सहायता राशि जमा की है। केरल सरकार,उत्तराखण्ड सरकार,छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से मुझे धन्यवाद पत्र मिला था ।

कैन्सर पीड़ित या दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति की आर्थिक सहायता के साथ ही मैं शिवानंद आश्रम के 125-130 बच्चों को जरूरत की सामग्री प्रदान करती हूँ । शहर के आस्था निकुंज आश्रम में मैं प्रतिवर्ष वृद्ध दिवस के दिन वृद्ध माताओं के लिये वस्त्र प्रदान करती हूँ। साथ ही दीपावली भी उन्हीं के साथ मनाती हूं। मैंने जरूरतमंद बालिका एवं बालक को सिलाई मशीन साइकिल प्रदान किया था ।

जब कभी कोई गरीब परिवार अपनी कन्या के विवाह हेतु सहायता मांगते हैं तो उन्हें भी सामर्थ के अनुसार सहायता करती हूँ । प्रतिवर्ष शीतऋतु में गरीबजनों को कम्बल प्रदान करती हूँ । महिला दिवस पर पैड बैंक का उद्घाटन के समय मैने गरीब महिलाओं को पैड मिले इसलिये मैंने पाँच हजार का चैक प्रदान किया था ।

तत्कालीन जिलाध्यक्ष महोदय को कोरोना के लिये दो बार ग्यारह-ग्यारह हजार की राशि प्रदान की। अयोध्या में राम मन्दिर के लिये इक्यावन हजार की राशि प्रदान की है ।

मुझे पर्यटन का शौक होने के कारण मैंने पूरा भारत का भ्रमण किया है । यूरोप, लन्दन, फ्रांस, इटली, स्वीट्जरलैण्ड, आस्ट्रेलिया, जर्मनी का पर्यटन किया है।इसके अलावा सिंगापुर, मलेशिया, चीन, श्रीलंका भी घूमा है । मुझे खेलने का शौक है । मैं पाँच किमी की पैदल चाल सहित गोला फेंक में भाग लेती हूँ । मैंने साठ वर्ष की आयु में शास्त्रीय संगीत में विशारद किया है । इन्द्रावती अभियान के तहत मैंने चौदह दिनों में 135 किमी पैदल चली थी उसके पश्चात सभी जगह जाकर पौधारोपण किया है ।