आईना हूं तेरा, क्यूं इतना कतरा रहे हो,
सच ही कहूंगा, क्यूं इतना घबरा रहे हो…..
जगदलपुर। पिछले हफ्ते एक 3 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में बोधघाट पुलिस ने एक हफ्ते में चालान पेश किया जो निश्चित तौर पर काबिले तारीफ है। पुलिस के मुखिया DGP साहब ने तुरंत बस्तर पुलिस की प्रशंसा की और उनकी पीठ थपथपाते हुए इनाम भी दिया। थोड़ी सी शाबासी पाकर बस्तर पुलिस को मुगालता हो गया कि वे महिला अपराधों के प्रति कितनी संवेदनशील है यह जानकर सारी दुनिया को उनपर फक्र हो रहा होगा। यदि हकीकत का आईना दिखाया जाए तो उनकी आंखें शर्म से झुक जाएंगी।
बस्तर जिले में महिला अपराधों के सैकड़ों मामले लंबित पड़े हैं लेकिन अब सवाल यह उठता है कि बाकी मामलों में बस्तर पुलिस की तत्परता क्यों नहीं दिखाई देती। क्यों बस्तर पुलिस को पीड़िताओं के आंसू दिखाई नहीं देते। क्यों उन्हें अपने सारे सम्मान को ताक पर रखकर हाथ जोड़ती महिलाओं की बेबसी दिखाई नहीं देती? क्यों उन्हें मानसिक और शारीरिक बलात्कार झेल रही महिलाओं के मन और तन पर लगे जख्म दिखाए नहीं देते?
बस्तर जिले के थानों से यदि महिला अपराधों का रिकॉर्ड निकाला जाए और पता किया जाए कि महिला अपराधों से सम्बंधित कितने आवेदन आये,कितनों में एफआईआर हुई,कितने मामलो में आरोपी की गिरफ्तारी हुई और कितने मामलों में चालान पेश किया गया तो सारी हकीकत आपके सामने आ जायेगी। सैकडों पीड़िताएं इस आस में बैठी हैं कि कभी तो उन्हें न्याय मिलेगा। जहां सविता की सिसकियां थानों की चाहरदीवारी में गुम हो गई तो वहीं रौशन की मां के बेटे की बाट जोहते आंसू तक सूख गए। राधिका न्याय के लिए भटकती रही तो रौशनी आरोपी की गिरफ्तारी का इंतजार कर रही हैं।
बस्तर के कुछ थानों में महिला सम्मान की धज्जियां किस तरह उड़ाई जाती हैं यदि इसका प्रमाण देखना हो तो उन थानों में चले जाना तस्वीरें देखकर दिल दहल जाएगा। यदि कोई पीड़िता थाने में जाती है तो पहले तो उसकी बात ही नहीं सुनी जाती। उसे थाने से यह कहकर भगा दिया जाता है कि तुम झूठ बोल रही हो तुम्हारे साथ ऐसा हुआ ही नहीं है। ताज़ा मामला कुछ महीने पहले दो बच्चियों का है जिन्हेंमहिला अधिकारी द्वारा थाने से भगा दिया गया था। यदि पीड़िता से आवेदन ले भी लिया गया तो आरोपी पर एफआईआर होगी इस बात की गारंटी नहीं है इसका ज्वलंत उदाहरण सविता है।यदि एफआईआर दर्ज हो भी गई तो आरोपी की गिरफ्तारी रसूख़ देखकर की जाएगी। यदि आरोपी रसूखदार है तो आरोपी मिल नही रहा यह कहकर टालने की कोशिश की जाएगी। या फिर तफ्तीश के नाम पर महीनों और बरसों निकाल दिए जाएंगे। महफूजा यह सब झेल रही है।
अब समझ में आता है कि बहुत ज्यादा प्रताड़ित होने के बाद भी पीड़िताएं थाने क्यों नहीं जाती। क्योंकि वे जानती हैं कि थाने में उनके साथ किस तरह का सलूक होगा। किस तरह उनके स्वाभिमान को जूतों की नोक तले रौंदा जाएगा। किस तरह महिला के सम्मान को तार तार किया जाएगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के महिला अपराधों के प्रति सख्त लहजे को देखकर डीजीपी डीएम अवस्थी ने मामलों पर त्वरित कार्रवाई करने के कड़े निर्देश तो दे दिए लेकिन साहब जो मामले महीनों और सालों से लंबित पड़े हैं उनके बारे में भी तो पुलिस को निर्देश दें कि उन्हें भी जल्द निपटा लें। मुख्यमंत्री और डीजीपी ने जिस तरह से कोताही बरतने वाले डीएसपी और टीआई को निलंबित किया उससे यह संदेश तो जनता में गया कि प्रदेश के मुखिया और पुलिस के मुखिया महिला अपराधों के प्रति कितने संवेदनशील है। अब देखना यह होगा कि महिला अपराधों के बाकी मामलों में बस्तर पुलिस अपनी कुम्भकर्णी नींद से जागकर उतनी ही तत्परता दिखाती है या फिर उसी ढर्रे पर चलती है जहां अपने स्त्री होने पर अफसोस करते हुए पीड़िता को न्याय की बाट जोहते बरसों बिताने होंगे।
महिलामीडिया डॉट इन का अभियान justice for bastar bala
जिसमें हम आपको उन पीड़िताओं से रूबरू करवाएंगे जो थानों में लम्बे अरसे से न्याय के लिए भटक रही हैं लेकिन जिन्हें आज तक न्याय नहीं मिला।