जगदलपुर। बस्तर अंचल के प्रख्यात रंग निर्देशक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यकर्ता, मैत्री संघ संस्था के पूर्व महासचिव सत्यजीत भट्टाचार्य (बापी दा) का आज मध्यरात्रि 1.30 बजे दुःखद निधन हो गया। उनकी मृत्यु से पूरा अंचल हतप्रभ है। बस्तर के इस बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व का चले जाना निश्चित तौर पर अपूर्णीय क्षति है।
9 मई 1963को जन्मे सत्यजीत भट्टाचार्य जी उर्फ बापी अंचल के लोकप्रिय रंगकर्मी के रुप मे प्रतिष्ठित थे। उन्होने रंगमंच के क्षेत्र में बस्तर को अन्तरराष्ट्रीय पहचान दी। बस्तर के कलाकारों को हिन्दूस्तान के बड़े मंच प्रदान करने मे उनकी उपयोगिता को विस्मृत कर पाना असम्भव है।
नाट्यश्री, नाट्यभूषण, नाट्यरत्न जैसे कई पुरस्कारों से सम्मानित इस कलाकार का असमय चला जाना अंचल के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होने जगदलपुर मे मे कई वर्षो तक नाट्य परब का आयोजन किया जिसमे देश भर के रंगकर्मी अपनी कला का प्रदर्शन करने बस्तर आते रहे हैं ।
श्री भट्टाचार्य जी के नाम 5000 नुक्कड़ नाटकों का अनुभव है उन्होने करीब 100 नाटको का निर्देशन किया है । हिंदी व बंग्ला थियेटर के वे सशक्त हस्ताक्षर थे कई बांग्ला नाटको मे उनके अभिनय को भी लोगो ने देखा है। वे नई व पुरानी पीढी के रंगकर्मियो के बीच की कड़ी थे उन्होने बस्तर के रंगकर्म को 70 के दसक से अब तक देखा है।
श्री भट्टाचार्य जी काफी सक्रिय थे।उन्होने संस्था अभियान व मैत्री संघ के महासचिव का पद कई वर्षो तक सम्भाला। वे खेलकूद से भी जुडे रहे मैत्री संघ फूटबाल टीम के स्थाई सदस्य थे अपने जुड़वा भाई विश्व्जीत उर्फ बाबला के साथ उन्होने कई मैदानो पर फतह पाई है। इसके अलावा शिक्षा के क्षेत्र मे भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से भी वे जुडे रहे। एनसीएसटी सी नेटवर्क के वे मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ प्रमुख थे बच्चो मे विज्ञान के प्रति अभिरुचि विकसित करने उक्त विभाग ने यह दायित्व उन्हे सौंपा था जिसका उन्होने बखूबी निर्वहन किया।
पेशे से व्यवसायिक फोटोग्राफर (स्टुडियो मीरा संचालक) होने के साथ साथ कुशल वीडियोग्राफर,मूर्ति कार, मेकअप आर्टिस्ट, सिंगर,एंकर सब कुछ थे बापी दा। अंचल मे वे इसी नाम से लोकप्रिय थे। उनके चले जाने से बस्तर रंगकर्म के सबसे बड़े अध्याय का अन्त हो गया है।