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नर्स को घर से बाहर करने पर मकान मालिक के खिलाफ की गई बड़ी कार्रवाई,मकान मालिक द्वारा संचालित च्वॉइस सेंटर को निरस्त करने के साथ ही धारा 51 व IPC 188 के तहत जांच कर अपराध दर्ज किए जाने के दिए गए निर्देश, सोशल एक्टिविस्ट ममता शर्मा, उचित शर्मा एवं अजय त्रिपाठी ने की थी शिकायत

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रायपुर।कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए जहां एक और डॉक्टर,नर्स और स्वास्थ्य कर्मचारी दिन रात एक किए हुए हैं। अपनी जान की परवाह किए बगैर वे कोरोना से बचाव की जंग लड़ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर उन्हें एक नई चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। जो स्वास्थ्य कर्मी किसी के यहां किराए पर रह रहे हैं उन्हें मकान मालिकों द्वारा मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। बार-बार उन्हें कोरोना संक्रमित होने की बात कहकर ताने दिए जा रहे हैं। कुछ मकान मालिकों ने उन्हें अपने घर पर रखने से इंकार कर दिया है

ऐसा ही एक मामला आया है रायपुर के जगन्नाथ स्पेशियलिटी हॉस्पिटल की नर्स दिलेश्वर साहू का जिसे उसके मकान मालिक ने अपने घर में रखने से इंकार कर दिया है। मकान मालिक पंकज चंद्राकर ने संक्रमण फैलाने के नाम से उक्त नर्स को घर छोड़ने मजबूर किया। रायपुर के खमहरडीह शंकर नगर में ऐसा ही एक और मामला आया जिसमें मकान मालिक श्री साहू ने प्राईवेट हॉस्पिटल की नर्स को घर में ना रखने की बात की। रात को जब वह नर्स हॉस्पिटल से घर पहुंचीं तो नर्स को घर में नहीं आने दिया गया। मकान मालिक ने उन्हें घर खाली करने की बात कह डाली। तब नर्स ने बड़े दुखी मन से सोशल एक्टिविस्ट श्रीमती ममता शर्मा को अपनी आपबीती बताकर मदद मांगी। तब ममता शर्मा ने अपने साथी एक्टिविस्ट उचित शर्मा के साथ मकान मालिक से मुलाकात कर उन्हें समझाया तो मकान मालिक को अपनी गलती का एहसास हुआ।

छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य संगठन की ममता शर्मा,उचित शर्मा और अजय त्रिपाठी ने इस घटना की शिकायत रायपुर कलेक्टर से की। मामले को गम्भीर मानते हुए ज्वाइंट कलेक्टर राकेश कुमार पांडे द्वारा मकान मालिक पंकज चंद्राकर के च्वाईस सेंटर को निरस्त करने के आदेश दिए गए हैं। वहीं आपदा नियंत्रण 2005 की धारा 51 व IPC 188 के तहत शिकायत की जांच कर मकान मालिक के खिलाफ अपराध दर्ज किए जाने के निर्देश दिए गए हैं।

ममता शर्मा ने महिलामीडिया डॉट इन से कहा कि यहां एक बहुत बड़ा सवाल है कि जो स्वास्थ्य योद्धा अपनी जान की परवाह किए बगैर पूरे देश को कोरोना के संक्रमण से रोकने के लिए दिन रात अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उनके अपने घर परिवार होने के बावजूद भी वे मरीजों की देखभाल में पूरे सेवा भाव से जुटे हुए हैं। यदि इस समय उनके साथ इस तरह का व्यवहार किया जाएगा तो वे कहां जाएंगे। वे तो दोहरी जंग लड़ रहे हैं। निश्चित तौर पर इस ओर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ध्यान देने की जरूरत है कि इन विपरीत परिस्थितियों में जब हमें इन स्वास्थ्य योद्धाओं का हौसला बढ़ाना चाहिए तब कुछ कुंठित मानसिकता के मकान मालिकों के द्वारा इन स्वास्थ्य कर्मियों को घर से छोड़ने मजबूर किया जा रहा है। इस हालत में वे अपनी स्वास्थ्य सेवाएं कैसे दे पाएंगे निश्चित तौर पर बहुत बड़ा गंभीर प्रश्न है। यदि इस तरह के हालातों को ना रोका गया तो पता नहीं और कितने ही डाक्टर और स्वास्थ्य कर्मी सड़कों पर आ जाएंगे।