जगदलपुर। शहर के मध्य स्थित शराब दुकानों को शहर से बाहर करने समय-समय पर समाजिक संगठनों और राजनीतिक पार्टियों ने आंदोलन किए हैं।किन्तु स्थानीय प्रशासन के उदासीन रवैये के चलते अब तक शराब दुकानें शहर से बाहर नहीं हो सकी हैं जिसका खामियाजा शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा हैं। अब इस आंदोलन को दशा और दिशा देने के लिए पब्लिक वॉइस ने बीड़ा उठाया है।जनप्रतिनिधियों, महापौर एमआईसी मेंबर और पार्षदों से समर्थन लेने के बाद पब्लिक वॉइस के सदस्य आज कलेक्टर बस्तर डॉ अयाज़ तंबोली को ज्ञापन देने पहुंचे। ज्ञापन में कहा गया है कि यदि एक हफ्ते के अंदर शराब दुकानें शहर से बाहर नहीं होंगी तो शहर की जनता द्वारा अनिश्चितकालीन आंदोलन किया जाएगा।
इस पर कलेक्टर बस्तर ने कहा कि 1 हफ्ते के अंदर शराब दुकानों को शहर से बाहर करना संभव नहीं है। आप ही दुकानें चिन्हित करके हमें बताइए ताकि एक-एक करके उन दुकानों को बाहर शिफ्ट किया जा सके। हालांकि कलेक्टर बस्तर की बात से पब्लिक वॉइस के सदस्य संतुष्ट नजर नहीं आए। उनका कहना था कि कलेक्टर के पास पूरा सिस्टम है, पूरी टीम है। दुकानें को चिन्हित करना हमारा काम नहीं है।
पब्लिक वॉइस के सदस्यों ने जिला प्रशासन को 7 दिवस की मोहलत देते हुए कहा कि निर्धारित दिनों में जिला-प्रशासन स्पष्ट रूपरेख उपलब्ध करा कर दुकानों की स्थानांतरण प्रक्रिया सुनिश्चित करें क्योंकि वर्षों से कोरे आश्वासन की वजह से जनहित का एक गंभीर विषय लंबित है। यदि 7 दिनों की तय समय सीमा में शराब दुकानें शहर से बाहर स्थानांतरित नही की जाती हैं तो वे वृहद आंदोलन करने को हम विवश होंगे और इस बार हर हाल में दुकानों को शहर से बाहर करवाकर ही रहेंगे।
शहर के मध्य स्थित शराब दुकानों के पास से गुजरने वाली महिलाएं और बच्चियां छेडख़ानी का शिकार हो रही हैं। शराबियों की घूरती निगाहों से कहीं ना कहीं उनके मन में एक खौफ रहता है। वे किस तरह भयभीत और अनहोनी घटना को लेकर आशंकित होती हैं इस पीड़ा को सिर्फ वही समझ सकती हैं। इस बात से किसी भी अधिकारी या किसी भी नेता का कोई लेना देना नहीं है। लेना देना होना भी नहीं चाहिए क्योंकि वे तो बंद गाड़ियों में अपने सुरक्षा गार्डो के साथ चलते हैं इसलिए उनके घर की महिलाओं को कोई समस्या नहीं होती। समस्या तो आम परिवारों की महिलाओं और बेटियों की है।
शराब दुकानों के पास मन्दिर,मस्जिद,गुरुद्वारा और स्कूल भी हैं। बार-बार विरोध जताने के बाद भी अभी तक शराब दुकानें शहर के बाहर नहीं की गई हैं। तो क्या यह माना जाए कि इस बात का इंतजार किया जा रहा है कि पहले किसी महिला या बच्ची के साथ कोई अप्रिय घटना हो उसके बाद ही हम जागेंगे। वैसे भी हमारे देश के लोगों की आदत है कि घटनाएं होने के बाद ही हम मोमबत्तियां लेकर सड़कों पर उतरते हैं उससे पहले हम सोए रहते हैं।