सशस्त्र बल के साढे छह हजार जवान मैदान में पदस्थ
मैदानी क्षेत्रों के जवानों की बस्तर में तैनाती
रायपुर। जान हथेली पर रखकर केवल अपने परिवार के लिए बस्तर में जंगलों की खाक छान रहले छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल (सीएएफ) के साढ़े छह हजार जवानों के लिए यह दीवाली रोशनी लेकर आई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर राज्य के पुलिस महानिदेशक दुर्गेश माधव अवस्थी ने बुधवार को एक आदेश जारी करके बस्तर में तैनात 51 कम्पनियों के साढ़े हजार से अधिक जवानों को तत्काल प्रभाव से मैदानी इलाकों में स्थानांतरित कर दिया। बस्तर में नक्सलियों से मुकाबला जारी रहे, इसके लिए मैदानी इलाकों में पदस्थ छत्तीसगढ़ के इतने ही जवानों को वहां भेजा गया है और उन्हें सख्त हिदायत दी गई है कि इस आदेश का तत्काल प्रभाव से पालन किया जाए।
राज्य में कांग्रेस सरकार बनने के बाद से ही इस बात को लेकर मंथन किया जा रहा था कि विषम परिस्थितियों में रहकर बस्तर में काम करने वाले पुलिस अधिकारियों व सिपाहियों को किस तरह से वहां से बाहर निकाला जाए क्योंकि पंद्रह साल के भाजपा शासनकाल में सरकारी मशीनरी व राजनेताओं ने बस्तर को दण्ड देने के लिए इस्तेमाल किया। असहमति रखने वालों को बस्तर स्थानांतरित किया गया तथा लगातार मिन्नतें व चिरौरी करने के बाद भी उन्हें मैदानी इलाकों में नहीं भेजा गया। सुरक्षा बल बस्तर में बेहतर तरीके से काम कर सकें तथा उनके मनोबल में किसी भी प्रकार की गिरावट न हो, इसके लिए डीजीपी डीएम अवस्थी ने वहां तैनात पुलिस अफसरों, सिपाही-हवलदारों तथा सुरक्षा बलों के कामकाज की समीक्षा शुरू की और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मार्गदर्शन लेने के बाद इस काम को अंजाम देना शुरू किया।
पहले चरण में डेढ़ सौ
डीजीपी डीएम अवस्थी ने पहले चरण में पुलिस विभाग के उन डेढ सौ अफसरों को बस्तर व सरगुजा से निकाला, जो अपने सेवाकाल का एक बड़ा हिस्सा इन इलाकों में गुजार चुके थे और भाजपा शासनकाल में वहां से निकलने के लिए अनेक तरह के जतन कर चुके थे। चूंकि उनके पास राजनीतिक सिफारिशें नहीं थीं या फिर धनबल में वे कमजोर थे, लिहाजा उन्हें बरसों बस्तर-सरगुजा में गुजारना पड़ा। लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उन सब पर नजरें थीं और उनके निर्देश पर पुलिस विभाग के प्रमुख ने उन्हें एक ही झटके से बस्तर-सरगुजा से बाहर कर दिया। बदले मेंं इन इलाकों में उन अफसरों की तैनाती की गई, जो अब तक राजनीतिक संरक्षण अथवा धनबल के कारण सरगुजा-बस्तर में काम करने नहीं गए थे। डीजीपी के इस आदेश से विभाग में हडकम्प मचा हुआ है।
हजारों परिवारों में खुशियां ही खुशियां
इस बीच डीजीपी डीएम अवस्थी ने बुधवार को एक नया आदेश जारी करके बस्तर में तैनात उन साढ़े छह हजार जवानों के जीवन में खुशियां भर दीं, जो फिलहाल यह सोच भी नहीं सकते थे कि निकट भविष्य में वे नक्सलियों के बीच या बस्तर से निकल भी सकते हैं। नक्सलियों से लोहा लेने के लिए बस्तर में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल की फिलहाल 84 कम्पनियां काम कर रही हैं। इनमें सभी जवान छत्त्तीसगढ़ के हैं। इनमें से 51 कम्पनियों के करीब साढे छह हजार जवानों को तत्काल प्रभाव से प्रदेश के मैदानी इलाकों में तैनात किए जाने का आदेश जारी कर दिया गया है। डीजीपी डीएम अवस्थी ने बताया कि इन कम्पनियों के सभी जवान बरसों से बस्तर में काम कर रहे थे तथा मैदान पर आकर काम करना उनके लिए किसी सपने से कम नहीं था लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप इन हजारों जवानों के सपने को साकार किया गया है। अब वे दहशत तथा जंगलों से बाहर निकलकर मैदानी इलाकों में काम कर पाएंगे।
मैदान के जवान चले बस्तर डीजीपी डीएम अवस्थी ने अपने आदेश में प्रदेश के मैदानी इलाकों में तैनात छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल के साढ़े छह हजार जवानों तो तत्काल प्रभाव से बस्तर पहुंचकर आमद देने को कहा है ताकि वहां नक्सलियों के खिलाफ लडी जा रही लड़ाई कमजोर न पडऩे पाए। माना जा रहा है कि बस्तर में तैनात किए गए छत्तीसगढ सशस्त्र बल के नए जवानों के माध्यम से नक्सलयिों के साथ लडी जाने वाली लड़ाई अधिक प्रभावी हो पाएगी।