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मोदी को सुपर स्टार बनाने वाले अमित शाह की सोशल इंजीनियरिंग के विपक्षी दलों के नेता क्यों हैं कायल,आइये जानें

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नई दिल्ली । लोकसभा चुनाव 2019 में भारतीय जनता पार्टी 350 के ऐतिहासिक आंकड़े के करीब है और माना जा रहा है बीजेपी को यह जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की रणनीति की वजह से संभव हुई है। यह जीत बीजेपी के लिए ऐतिहासिक जीत है और इसमें अमित शाह की अहम भूमिका रही है.सिर्फ़ पार्टी के नेता और कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि विपक्षी दलों के नेता भी अमित शाह की सोशल इंजीनियरिंग के कायल हैं. उनका अकेले का कौशल कांग्रेस के सभी रणनीतिकारों पर भारी रहता है.

भारतीय जनता पार्टी की जीत में पार्टी के कार्यकर्ताओं का अहम योगदान है और इन कार्यकर्ताओं को एकसूत्र में बांधने का काम अमित शाह ने किया है। अमित शाह ने पार्टी को जमीनी मजबूती प्रदान की है। शाह ने संगठन को मजबूत करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी और भाजपा को बूथ स्‍तर से लेकर राष्‍ट्रीय स्‍तर तक पर मजबूत किया है।

लोकसभा चुनाव 2019 में भारतीय जनता पार्टी को शिखर पर पहुंचाने वाले अमित शाह एक कुशल रणनीतिज्ञ हैं.राजनीति पर नज़र रखने वालों का कहना है कि शाह एक बेहतरीन मैनेजर हैं. उनका अनुशासन सेना की तरह है जो भाजपा कार्यकर्ताओं में देखने को मिलता है. वो अपने कैडर को ख़ुद अनुशासन का पाठ पढ़ाते हैं. वो दशकों से बूथ मैनेजमेंट पर जोर दे रहे हैं, जिसका परिणाम पहले गुजरात और फिर 2014 के लोकसभा चुनावों में देखने को मिला है.

उनकी रणनीति और प्रशासनिक कुशलता की वजह से पार्टी ने उन्हें साल 2010 में महासचिव का पद दिया और उन्हें उत्तर प्रदेश का प्रभार सौंपा.शाह ने उत्तर प्रदेश में भाजपा के चुनावी भाग्य को बदल दिया और पार्टी ने शानदार जीत हासिल की. 80 लोकसभा सीटों वाले इस राज्य में पार्टी ने 73 पर बाजी मारी.

उनके प्रभारी रहते हुए महज दो साल में पार्टी का वोट शेयर राज्य में करीब ढाई गुना बढ़ गया. 2014 के चुनावों में शाह भाजपा के चुनावी कमेटी के सदस्य थे और उन्होंने जनसंपर्क, बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंचने और नए वोटरों को जोड़ने को ज़िम्मेदारी दी गई थी.परिणाम आधारित रणनीति बनाने के उनके कौशल ने 2014 लोकसभा चुनावों में बीजेपी की जीत में अहम भूमिका निभाई थी.

बीजेपी की भीतरी ख़बर रखने वाले कहते हैं कि पार्टी ने देश के उत्तर, मध्य और पश्चिमी क्षेत्रों के राजनीतिक रणक्षेत्र को न सिर्फ़ जीत लिया है बल्कि इस पर अपनी महारथ भी हासिल कर ली है. हालांकि बीजेपी अभी दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत में प्रभावशाली असर बनाने के लिए संघर्ष कर रही है.

बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं, “शाह दक्षिणी राज्यों में काफ़ी समय से ख़ामोशी से काम कर रहे हैं. उन्होंने दक्षिणी और पूर्वोत्तर राज्यों में ज़मीनी स्तर पर बहुत काम किया है. ये वो राज्य है जहां अभी तक बीजेपी का कोई भविष्य दिखाई नहीं देता है. वो बीजेपी कार्यकर्ताओं के लिए नए राजनीतिक मोर्चे खोल रहे हैं और उन्हें यहां लड़ने के लिए तैयार कर रहे हैं. उनका काम इन आम चुनावों के नतीजों में दिख सकता है.