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मूलभूत सुविधाओं को तरसते दीपक बैज के गृह ग्राम के ग्रामीणों का बड़ा सवाल- जब विधायक रहते हमारी सुध नहीं ली तो दिल्ली में बैठकर हमें क्यों पूछेंगे? सिर्फ वोट मांगने ही आते हैं साहब, ग्रामीणों की समस्याओं से उनका कोई सरोकार नहीं

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जगदलपुर। चुनाव के पहले जनता को लुभाने नेताओं द्वारा तरह-तरह के वायदे किए जाते हैं। चुनाव जीतने के बाद यह वायदे कितनी शिद्दत से निभाए जाते हैं या सिर्फ वे चुनावी भाषण बन कर रह जाते हैं। यह जानने के लिए हम चित्रकूट विधायक और वर्तमान में बस्तर से कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी दीपक बैज के गृह ग्राम गढ़िया और उससे सटे गांव बड़े परौदा, नेगारास, चंदनपुर सहित आसपास के क्षेत्रों में पहुंचे। महिलामीडिया डॉट इन की टीम ने जब वहां के ग्रामीणों से बात की तो उन चुनावी वादों का सच निकल कर सामने आया।

कच्ची सड़कें, पानी की किल्लत

ग्राम बड़े परौदा के दिलीप बघेल जो कि बीएससी के छात्र हैं ने बताया कि हमारा गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित है गांव में पक्की सड़क तक नहीं है। कई सालों से यहां पर सड़कें बनी ही नहीं हैं। बारिश के दिनों में इन कच्ची सड़कों से गुजरना दुर्घटनाओं को निमंत्रण देना है। खासकर स्कूली बच्चों को कीचड़ से सनी सड़कों से गुजर कर स्कूल जाना पड़ता है। सबसे बड़ी समस्या तो पानी की है। हमें पीने का साफ पानी तक उपलब्ध नहीं है। पानी के लिए ग्रामीणों को 1 से 2 किलोमीटर तक का सफर तय करना पड़ता है। गर्मियों में तो पानी की किल्लत और बढ़ जाती है।

नालियां भी नहीं,  बाहर शौच जाने को मजबूर ग्रामीण

नेगीरास पारा (गढ़िया)के रमेश बघेल का कहना है कि गांव में नालियां बनी ही नहीं है। जिसकी वजह से दलदल की स्थिति निर्मित हो गई है। हर तरफ गन्दगी पसरी रहती है जिसे कारण मच्छरों के पनपने से यहां के ग्रामीण मलेरिया जैसी बीमारियों के शिकार होते रहते हैं। कुछ ही घरों में शौचालय बने हैं और बाकी जगह शौचालय के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई है। आज भी इन गांव के लोग बाहर शौच जाने को मजबूर हैं।

सिर्फ वोट के लिए धमकाने आते हैं विधायक

मंगलदेई का चित्रकोट विधायक दीपक बैज पर आरोप है कि वे  और उनके लोग सिर्फ वोट मांगने ही उनके गांव आते हैं। वोट न देने पर काम न करने की धमकी भी देते हैं। अपने क्षेत्र के लोगों की समस्याओं से उनका कोई सरोकार नहीं है। ग्रामीणों ने इस बात को लेकर भी सवाल उठाया है कि जब विधायक रहते हुए दीपक बैज अपने गृह ग्राम गढ़िया और आसपास के क्षेत्रों का विकास नहीं कर पाए तो जब वे सांसद बनकर दिल्ली में बैठेंगे तो हमारी सुध क्यों लेंगे।