आज वैलेंटाइन डे पर हम आपको एक महिला के अनोखे प्यार और समर्पण की कहानी सुना रहे हैं जो आपका दिल छू लेगी। हीर-रांझा और लैला-मजनू की तरह ही कुछ प्रेम कहानियां बेमिसाल होती हैं..जिनके चर्चे सदियों तक होते हैं। आज की हमारी ये लव स्टोरी भी कुछ ऐसी ही है। ऐसी कहानियां दिलों-दिमाग में बस जाती हैं।
सेना के नायक प्रेम सिंह ठाकुर की कहानी कुछ ऐसी ही है। सेना का ये जवान स्काई डाइविंग एडवेंचर करते हुए इस कदर घायल हुआ कि व्हील चेयर पर आ गया। इस हादसे के बाद मानों सबकुछ बदल गया। जिंदगी रूठ सी गई थी। इस विपरीत हालात में इस जवान के ‘प्यार’ ने न इसका साथ छोड़ा, न हाथ। ये जवान आज वेस्टर्न कमांड की निगरानी में चल रहे पारा प्लेजिक रीहेबिलिटेशन सेंटर मोहाली में अपने परिवार के साथ रह रहा है।
हिमाचल प्रदेश स्थित सिरमौर के नायक प्रेम सिंह ठाकुर सेना की 9 पैराफील्ड रेजीमेंट में तैनात थे। 26 जनवरी 2003 को एयरफोर्स स्टेशन हिंडन में ऑल इंडिया एयरफोर्स स्काई डाइविंग एक्युरेसी चैंपियनशिप में प्रेम स्काई डाइविंग कर रहे थे। तभी अचानक कुछ हुआ और उनका बैलेंस गड़बड़ हो गया। बैलेंस गड़बड़ होने से वह बुरी तरह घायल हो गए। बचना लगभग नामुमकिन सा था। कुछ दिन तक कोमा में चले गए, बाद में वेंटिलेटर पर भी रहे। सरवाइकल इंजरी का शिकार होने के बाद प्रेम 2005 में रीहेबिलिटेशन सेंटर मोहाली आ गए। लेकिन तभी कुछ ऐसा हुआ एक बार फिर से जिंदगी ने करवट ली और बहुत कुछ अच्छा होने लगा।
प्रेम के स्कूल टाइम की एक दोस्त थीं। नाम था- स्मृति ठाकुर। स्मृति को जब प्रेम के हादसे के बारे में पता चला तो बिना देरी किए वह उनसे मिलने मोहाली आई। स्मृति एक कामयाब ब्यूटीशियन हैं, लेकिन प्रेम को इन हालात में देखकर काफी हैरान थी। एक साल बाद स्मृति ने फैसला लिया कि वह अब उनकी सिर्फ दोस्त बनकर उनका ख्याल नहीं रखेंगी बल्कि इस दोस्ती को वह एक शादी में बांधकर जिंदगी शुरु करना चाहती थी। एक साल बाद स्मृति ने फैसला लिया कि वे प्रेम से की गई दोस्ती को अब उसकी पत्नी बनकर निभाएंगी।
हालांकि प्रेम अपने हालात को देखकर इस बात के लिए राजी नहीं था। स्मृति के घरवालों ने भी साफ इंकार कर दिया। लेकिन स्मृति के प्यार ने वो कर दिखाया जिसे करने के लिए बहुत बड़ी हिम्मत चाहिए। स्मृति अपनी बात पर अड़ी रही और आखिरकार अपना कारोबार और परिवार छोड़कर वह सेंटर प्रेम के साथ रहने आ गईं और यहीं उसने प्रेम के साथ शादी की। स्मृति कहती हैं कि जब दोस्ती की थी तो निभानी ही थी। उधर, प्रेम कहते हैं कि स्मृति के हौसले और सेवा से उसके हालात बहुत सुधर गए हैं।