एशिया की सबसे बड़ी जेल यानी तिहाड़ जेल में कारागार नंबर 1, 2 और 3 की पुरानी हो चुकी इमारत को पूरी तरह से हटाकर, वहां नई आधुनिक जेल का निर्माण किया जाएगा. जेल की नई इमारत का निर्माण सिंगापुर की चैंगी जेल से प्रेरित होगा. दिल्ली पीडब्लूडी के अधिकारी इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम कर रहे हैं.
तिहाड़ जेल में क्षमता से ज्यादा बंदियों का होना सुरक्षा और व्यवस्था के लिहाज से जेल प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है. तिहाड़ जेल की क्षमता 10026 कैदियों की है. लेकिन इस वक्त वहां 15805 कैदी बंद हैं. इनमें से 12743 विचाराधीन कैदी हैं. जबकि 2977 कैदी सजायाफ्ता हैं.
कुल मिलाकर तिहाड़ में क्षमता से लगभग 5000 कैदी ज्यादा बंद हैं. ऐसे में तिहाड़ परिसर में नई जेल की ज़रूरत है. डीजी अजय कश्यप लगातार इसके लिए प्रयास कर रहे थे. उनकी मेहनत रंग लाई और सरकार ने जेल संख्या 1, 2 और 3 के स्थान पर नई आधुनिक जेल बिल्डिंग बनाने के प्रस्ताव पर कवायद शुरू कर दी है. जिसे जल्द स्वीकृति मिलने की उम्मीद है.तिहाड़ की तीन जेलों की इमारत गिराकर वहां नई इमारत बनाई जाएगी. तीनों जेल मल्टीलेवल और आधुनिक होंगी. यह पहला चरण होगा. बाद में तिहाड़ की सभी जेलों को इसी तर्ज पर विकसित किया जाएगा.
- चैंगी जेल का इतिहास
सिंगापुर की चैंगी जेल का निर्माण 1936 में स्टेट्स सेटलमेंट्स के तहत ब्रिटिश प्रशासन ने कराया था. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, फरवरी 1942 में सिंगापुर के पतन के बाद, जापानी सेना ने चैंगी जेल में लगभग 3000 नागरिकों को बंदी बनाकर रखा था, जहां उस वक्त केवल 600 कैदियों के रहने की व्यवस्था थी.
जापान ने 1943 में युद्ध बंदियों को रखने के लिए चैंगी जेल में ब्रिटिश सेना के सेलारंग बैरक का इस्तेमाल किया था. इसके अलावा वहां लगभग 50000 मित्र सैनिकों ने कैंप भी किया था. उन सैनिकों में मुख्य रूप से ब्रिटिश और ऑस्ट्रेलियाई शामिल थे. वहां पर जापान डच नागरिकों को भी रखता था. जिन्हें डच ईस्ट इंडीज (अब इंडोनेशिया) से लाया गया था. इसके बाद चैंगी जेल में यूके, ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड और अन्य जगहों से भी कैदी लाकर रखे जाते रहे. इसी वजह से चैंगी नाम मशहूर हो गया. इस जेल का इतिहास खौफनाक घटनाओं से भरा था.