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बड़ा ही चमत्कारी है देहरादून का यह मंदिर, यहां 220 सालों से जल रही अखंड ज्योति

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देवभूमि उत्तराखंड को देवताओं की भूमि कहा जाता है. क्योंकि यहां क़ई बड़े और प्राचीन मंदिर हैं. देहरादून में भी क़ई मंदिर हैं, लेकिन आज हम आपको देहरादून के एक चमत्कारी मंदिर के बारे में बताने वाले हैं, जिसमें 220 सालों से अखंड ज्योति जल रही है. हम बात कर रहे हैं डाट काली माता मंदिर की, जो राजधानी देहरादून के मुख्य शहर से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर उत्तराखंड-उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर स्थापित है. इस मंदिर की बहुत मान्यता है. इसलिए प्रतिदिन यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं. सिर्फ उत्तराखंड ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश से भी लोग यहां आते हैं. नवरात्रों के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती है.  मां डाट काली मंदिर का निर्माण ब्रिटिश काल में किया गया था. मिली जानकारी के अनुसार इस मंदिर में 220 साल पहले की अखंड ज्योति और हवन कुंड जल रही है. साल 1804 में मंदिर के निर्माण के दौरान यहां अखंड ज्योति और हवन कुंड जलाई गई थी और तब से आज तक यह जल रही है.

नए वाहन को लेकर पूजा के लिए जाते हैं लोग

मां डाट काली मंदिर के महंत रमन प्रसाद गोस्वामी ने बताया इस मंदिर से क़ई मान्यताएं जुड़ीं हैं लेकिन देहरादून के लोग नया वाहन खरीदने के बाद डाट काली मंदिर में पूजा के लिए जरूर आते हैं. इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति कोई नया काम शुरू करता है तो इस मंदिर में पूजा अर्चना करवाने जरूर आता है.

उन्होंने कहा कि मां डाट काली मंदिर मुख्य सिद्धपीठ में से एक है. माना जाता है कि माता सती के शरीर के एक खंड गिरा था. . इसके साथ ही महंत रमन प्रसाद गोस्वामी ने बताया कि मन्दिर का प्राचीन नाम मां घाटे वाली देवी था, लेकिन जब साल 1804 में मंदिर के पास मौजूद सुरंग बनी तो उसके बाद इस मंदिर का नाम डाट काली मंदिर पड़ गया. इस सिद्धपीठ की मान्यता है कि कोई भी व्यक्ति जो सच्चे मन से मनोकामना लेकर यहां पहुंचता है तो, उसकी सभी मनोकामना जरूर पूरी होती है. मां डाट काली के स्थापना के बाद सुरंग बनाने का काम शुरू हुआ था, जो जल्द ही बनकर तैयार हो गई. हालांकि, साल 1804 से 1936 तक ये सुरंग कच्ची ही रही, लेकिन 1936 के बाद फिर इस सुरंग को पक्का बना दिया गया था. साथ ही उन्होंने कहा कि मंगलवार, शनिवार और रविवार को इस मंदिर में श्रद्धालुओं की ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है. डाट काली माता की बड़ी मान्यता है, यही वजह है कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की बोर्डर पर स्थित होने के साथ ही अन्य राज्यों से भी लोग यहां दर्शन करने पहुंचते हैं.