नई दिल्ली। विपक्ष ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजे आने से ठीक पहले ही 2019 के सियासी संग्राम के लिए गठबंधन की बिसात बिछाने की पहल शुरू कर दी है। एक्जिट पोल में इन राज्यों में भाजपा के मुकाबले कांग्रेस को बढ़त मिलने के संकेतों को विपक्षी खेमा लोकसभा चुनाव के लिए नई उम्मीद के रुप में देख रहा है। इसीलिए विधानसभा चुनाव के नतीजों के आने से पहले ही विपक्षी एकता का दायरा बढ़ाने की रणनीति बनाई जा रही है। लोकसभा चुनाव में विपक्ष के भावी गठबंधन के स्वरुप की दशा-दिशा तय करने पर विपक्षी दलों की सोमवार को होने वाली बैठक इस लिहाज से बेहद अहम होगी।
विपक्षी एकता के नये सूत्रधार के रुप में उभरे टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू तमाम क्षेत्रीय पार्टियों के नेताओं को एक साथ लाने के इस प्रयास में अहम भूमिका निभा रहे हैं। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ करीब 20 दलों के नेताओं के शामिल होने की संभावना है। तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी, राजद के सबसे प्रमुख चेहरे तेजस्वी यादव, द्रमुक अध्यक्ष स्टालिन जैसे विपक्ष के अधिकांश बड़े चेहरे बैठक में आएंगे।
विपक्षी एकता के लिहाज से पहली बार आम आदमी पार्टी के प्रमुख दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का इस बैठक में शामिल होना रहेगा। आप के साथ कटु रिश्तों की वजह से कांग्रेस ने अब तक केजरीवाल को विपक्षी एकता के दायरे से बाहर रखा है। मगर चंद्रबाबू नायडू की मध्यस्थता की वजह से आप को विपक्षी खेमे का हिस्सा बनाने के लिए कांग्रेस राजी होती दिख रही है। केजरीवाल और दीदी की सोमवार को बैठक में मौजूदगी के सहारे जाहिर तौर पर विपक्षी एकता का दायरा व्यापक होने का संदेश दिया जाएगा।