नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली पिछले कुछ सालों से प्रदूषण की समस्या से जूझ रही है। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर हर साल सर्दियों की शुरुआत में सबसे खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है। दिल्ली के साथ-साथ देश के कई अन्य प्रमुख शहरों की हवा की गुणवत्ता तय मानकों से ज्यादा खराब है। ऐसे में हाल ही में हुए शोध में जो खुलासे हुए हैं, वो परेशान करने वाले हैं। शोध में खुलासा हुआ है कि वायु प्रदूषण के कारण पिछले साल भारत में 10 लाख लोगों ने अपनी जान गंवा दी। इनमें से 12,322 मौतें केवल दिल्ली में हुईं।
गुरुवार को Lancet Planetary Health जर्नल में प्रकाशित इस शोध के खुलासे चिंताजनक हैं। पिछले साल वायु प्रदूषण के कारण देश में 10 लोगों की जान चली गई, जिसमें से 12,322 दिल्ली में थीं। दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर सबसे ज्यादा रहा, वहीं इसके बाद दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश रहा और फिर बिहार, हरियाणा और राजस्थान। शोध में के मुताबिक 6.7 लाख मौतें घर के बाहर वायु प्रदूषण के कारण हुईं, वहीं 4.8 लाख लोगों ने घर में वायु प्रदूषण के कारण अपनी जान गंवाई।
सभी प्रदेशों में दिल्ली में पीएम 2.5 का एक्सपोजर सबसे ज्यादा रहा। दिल्ली में हवा की गुणवत्ता इतनी खराब है कि पिछले साल वायु प्रदूषण के कारण लोगों की औसत आयु 1.5 साल तक कम हो गई। शोध ने दावा किया कि भारत में लोगों की औसत आयु 1.7 ज्यादा होती अगर वायु प्रदूषण, जिससे स्वास्थ्य को नुकसान हो रहा है, न्यूनतम स्तर से कम होता। इससे पहले यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट (EPIC) की रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि दिल्ली में सबसे ज्यादा प्रदूषित हवा 2016 में थी जिससे व्यक्ति की औसत आयु 10 साल तक कम हो गई। रिपोर्ट में दिल्ली को देश का सबसे दूसरा प्रदूषित शहर बताया गया था।