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पत्रकारों के सवालों को नहीं झेल पाए भाजपा के प्रभारी महासचिव, प्रेस कांफ्रेंस बीच में ही छोड़कर भाग निकले

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जगदलपुर। विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार की स्तुति करने पहुंचे पार्टी के प्रभारी महासचिव अनिल जैन शनिवार को पत्रकारों के सवालों को नहीं झेल पाए और प्रेस कांफ्रेंस को बीच में ही खत्म कर वहां से भाग खड़े हुए।

बस्तर और जगदलपुर के सम्बन्ध में जैसे ही पत्रकारों ने एक के बाद एक सवाल पूछनेे शुरू किए अनिल जैन असहज हो गए। वे किसी भी सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। उनके साथ आए हाउसिंग बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष भूपेंदर सिंह सवन्नी समेत भाजपा के स्थानीय नेता उस वक्त मौजूद थे।

यहां भाजपा कार्यालय में आयोजित पत्रवार्ता को सम्बोधित करते हुए अनिल जैन ने बताया कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में केंद्र औ्र राज्य की भाजपा सरकारों ने क्रांतिकारी काम किए हैं। राज्य की डॉ. रमन सिंह की सरकार ने जहां स्मार्ट कॉर्ड के माध्यम से पचास हजार रुपए तक के इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई है वहीं नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने आयुष्मान भारत योजना के तहत देशवासियों को कहीं भी इलाज कराने की सुविधा दी है। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने इस दिशा में कभी नहीं सोचा।

अनिल जैन ने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार ने बस्तर जैसे दुर्गम इलाकों में स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, पानी और सड़क जैसी   बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं। उन्होंने कहा कि एक समय जहां इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी, वहां डॉ. रमन सिंह की सरकार ने यह सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं।

अनिल जैन ने दावा किया कि प्रदेश में नक्सलवाद खात्मे की ओर है। पिछले कुछ महीनों में नक्सलियों ने अपने पैर पीछे खींचे हैं। बस्तर में नक्सली घटनाओं में लगातार कमी हो रही है क्योंकि बस्तरवासियों ने भाजपा सरकारों की विकास नीति को पसंद किया है।

उनकी बातों को सुनने के बाद पत्रकारों ने जैसे ही उनसे सवाल पूछना शुरू किया, अनिल जैन असहज हो गए। पत्रकारों ने बस्तर का ज्वंलत महारानी अस्पताल का मुद्दा उठाना चाहा। इसके अलावा बस्तर से सम्बंधित अन्य सवालों को पूछने का सिलसिला जैसे ही शुरू हुआ अनिल जैन ने कहा कि उनके हवाई जहाज के उडऩे का वक्त हो गया है, लिहाजा उन्हें जाना होगा औ्र यह कहते हुए उन्होंनेे पत्रकारों के सवालों को अनसुना किया और तेजी से प्रेस कांफ्रेंस छोड़कर वहां से चले गए।

पत्रकारों ने उन्हें रोकने की कोशिश भी की और कहा कि वे केवल सरकार की उपलब्धियां सुनने नहीं आए थे, बस्तर के सवालों का जवाब लेना भी उनकी जवाबदारी है परंतु अनिल जैन ने किसी की भी नहीं सुनी और वहां से चले गए।