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यहां खून की कीमत के बराबर चुकाना पड़ता है किराया, क्या यही विकास है?

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जगदलपुर। बड़े बड़े विकास के दावे करने वाली भाजपा सरकार विगत 15 सालों में जगदलपुर के महारानी अस्पताल को सर्वसुविधायुक्त नहीं कर पाई है। मेडिकल कॉलेज के डिमरापाल शिफ्ट हो जाने के बाद लोगों की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं। आम आदमी को राहत देने की बात करने वाली भाजपा सरकार जगदलपुर में स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाने में असफल नज़र आ रही है। यदि सबसे ज्यादा परेशानी किसी को झेलनी पड़ी है तो वह  है आम आदमी।

जिन मरीजों को खून की आवश्यकता है उनके परिजनों के चेहरे पर चिंता की लकीरें सहज ही देखी जा सकती हैं। डिमरापाल अस्पताल में सिर्फ ब्लड स्टोरेज सेंटर है लेकिन ब्लड डोनेशन का लाइसेंस उनके पास नहीं है। वहाँ प्रतिदिन 25 से 30 यूनिट ब्लड जरूरतमंद मरीजों को चढ़ाया जाता है। वहाँ मरीजों को ब्लड तो मिल जाता है लेकिन उसके बदले खून देने के लिए उन्हें डिमरापाल से जगदलपुर आना पड़ता है।

डिमरापाल मेडिकल कॉलेज से जगदलपुर का किराया प्रति व्यक्ति 50 से 60 रुपये है। एक व्यक्ति के आने जाने का किराया 100 से 120 रुपये है। यदि डोनर के साथ उसका साथी भी आता है तो यह दुगुना अर्थात 200 से 240 रुपए हो जाता है। यदि मरीज के परिजन बदले में ब्लड उपलब्ध कराने में असमर्थ होते हैं  और उनके पास यदि गरीबी रेखा कार्ड  या पेंशन कार्ड नहीं होता है तो उन्हें 125 रुपये प्रति यूनिट ब्लड की कीमत देनी होती है। मतलब खून की कीमत और किराया लगभग बराबर है।

सबसे बड़ी बात यह है कि डिमरापाल से जगदलपुर आने जाने में बहुत समय लगता है इस हालत में वे गंभीर रूप से बीमार या जख्मी अपने परिजनों का ध्यान नहीं रख पाते।  महारानी अस्पताल का ब्लड बैंक पीछे की तरफ होने की वजह से उन्हें जानकारी के अभाव में भटकना पड़ता है।