जगदलपुर। अब सोनोग्राफी प्राइवेसी का मामला नहीं रहा क्योंकि जगदलपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने आदेश निकाला है कि सोनोग्राफी रूम में सीसीटीवी कैमरा लगाया जाए। जगदलपुर के मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी श्री नाग ने 11 अक्टूबर 2018 को क्षेत्र के सभी निजी एवं सरकारी अस्पतालों को निर्देश जारी किया है कि वे अपने सोनोग्राफी कमरों में सीसीटीवी कैमरा लगाएं। 11 अक्टूबर को जारी पत्र के अनुसार उक्त अधिकारी ने बाल संरक्षण आयोग की 25 सितंबर 2018 की बैठक का हवाला देते हुए निर्देश जारी किया है कि आयोग के निर्देशों का पालन करें। सोनोग्राफी करने वाले कमरों में सीसीटीवी कैमरा लगाएं।
अब सवाल यह उठता है सोनोग्राफी करने के दौरान मरीज का वीडियो बनाना कितना उचित है। छत्तीसगढ़ हॉस्पिटल बोर्ड रायपुर के अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने इसका विरोध किया है, शासन को जारी पत्र में उन्होंने शासन से मांग की है कि इस आदेश को तुरंत वापस लिया जाये। उनका कहना है कि मरीज और डॉक्टरों के बीच में अति गोपनीयता होती है। इसका वीडियो बनाना कानूनी रूप से अपराध की श्रेणी में आता है। आश्चर्यजनक बात यह है कि किसी एक जिले का मुख्य स्वास्थ्य एव चिकित्सा अधिकारी किस आधार पर यह निर्देश जारी कर सकता है और बाल संरक्षण आयोग चुप क्यों हैं ? क्या बाल संरक्षण आयोग ने ऐसा कोई निर्देश जारी किया है ? बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष प्रभा दुबे इसे किस तरह सही मानती हैं।
जगदलपुर के कई डॉक्टरों से जब mahilamedia. com ने बात की तो उन्होंने भी दबी जुबान में इसका विरोध किया।डॉक्टरों का कहना है कि यह चिकित्सकीय व्यवसाय के एथिक्स के खिलाफ है। यह साफ तौर से मरीज की निजता के अधिकार का उल्लंघन है। हम सब डॉक्टर इस सम्बंध में सम्बंधित अधिकारी से चर्चा करेंगे।
सीएचएमओ श्री नाग ने कहा कि मैंने बाल संरक्षण आयोग के निर्देशानुसार यह आदेश जारी किया है जिसमें महिलाओं से दुर्व्यवहार ना हो इसलिए सोनोग्राफी रूम के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगवाने का आदेश जारी किया है। जब हमने कहा कि आदेश में सोनोग्राफी रूम के अंदर कैमरे लगवाने की बात लिखी है तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि आदेश में गलती से यह टाइप हो गया है। हमने आज सोनोग्राफी रूम के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगवाने का पुनः आदेश जारी किया है। हालांकि निजी अस्पताल के संचालकों ने ऐसे किसी भी आदेश के पुनः मिलने की बात से इंकार किया है।