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रेल आंदोलन में मातृशक्ति ने दिखाया दम, बुलन्द हौसलों से लोगों को प्रेरित कर आंदोलन को बनाया सफल,बता दिया कि परिवार और समाज दोनों में है सशक्त भूमिका

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जगदलपुर। बस्तर में रेल सुविधाओं के विस्तार को लेकर विगत 3 अप्रैल से अंतागढ़ से शुरू हुई पदयात्रा आज जगदलपुर में समाप्त हुई। इस रेल आंदोलन के समर्थन में हजारों की संख्या में लोग उमड़ पड़े। हर तरफ बस्तर में रेल लाने को लेकर जोशीले नारे गूंज रहे थे। यह रेल आंदोलन किसी पार्टी और संगठन का नहीं था बल्कि समाज के हर वर्ग ने इसमें भाग लिया था।

मातृशक्ति ने भी इस रेल आंदोलन में महती भूमिका निभाई। आज मातृ शक्तियों का जोश देखते ही बन रहा था सुबह के व्यस्ततम समय में से वक्त निकालकर वे सुबह 9 बजे ही आमागुड़ा चौक पहुंच गई थी। युवतियों से लेकर बुजुर्ग महिलाओं तक ने इस पदयात्रा में भाग लिया। उनका उत्साह देखते ही बन रहा था। वे लगातार बस्तर में रेल लाने को लेकर हाथ मे तख्तियां पकड़ जोशीले नारे लगाती रहीं और लोगों को साथ चलने प्रेरित करती रहीं।

रेल आंदोलन में बस्तर की महिलाओं ने सिर्फ आज ही सहभागिता नहीं निभाई अपितु लगभग 2 महीने पहले से ही इस आंदोलन के लिए बन रही रणनीति में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। वे हर बैठक में शामिल हुई। 3 अप्रैल को अंतागढ़ से शुरू हुई पदयात्रा में भी वे जोरशोर से पहुंची और वहां जाकर अपनी जबरदस्त उपस्थिति दर्ज करवाई। कभी कोंडागांव तो कभी बस्तर पहुंच कर पदयात्रा का हिस्सा बनीं। कई महिलाओं को स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियां होने के बावजूद उन्होंने पदयात्रा की। उनके हौसले उनकी तकलीफों पर भारी पड़े।

यही नहीं ये महिलाएं शहर के विभिन्न समाज संगठनों को इस रेल आंदोलन को सफल बनाने के लिए सुबह से शाम तक जोड़ती रहीं। वे सभी समाज के लोगों से जाकर मिलती और महिलाओं को प्रोत्साहित करती। बस्तर में रेल सुविधाओं के विस्तार को लेकर भी उनकी भूमिका के बारे में बात करती और उन्हें इसके महत्व के बारे में समझाते कभी समक्ष प्रस्तुत होकर तो कभी फोन के माध्यम से वे लगातार महिलाओं को जागरूक करती रही।

सोशल मीडिया के जरिए भी मातृ शक्तियों ने इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए लगातार प्रयास किए। जुनून था बस्तर के रेल आंदोलन को सफल बनाना।व्हाट्सएप, फेसबुक,इंस्टाग्राम,ट्वीटर हर जगह वे सक्रिय रहीं। अपने जोशीले नारों से,विचारों से और भाषणों से महिलाएं लगातार लोगों को बस्तर के रेल आंदोलन को सफल बनाने प्रेरित करती रहीं।

मुख्यमार्ग से महिला व्यवसायियों ने भी आरती-तिलक लगा कर पदयात्रियों का जोश-खरोश से स्वागत किया। बस्तर के रेल आंदोलन में महिलाओं ने अपनी सशक्त भूमिका निभाई और पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर बस्तर में रेल आने को लगातार अपने प्रयास किए।आज बस्तर की महिलाओं ने दिखा दिया कि वे भी भीषण गर्मी और तपती दोपहरी में पैदल चल सकती हैं। उन्होंने बता दिया कि जहां एक ओर वे अपने घर में अपनी परिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रही हैं वहीं वे अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को भी बखूबी जानती हैं।