नई दिल्ली। कोरोना वायरस की तीसरी लहर पांच गुना तेजी से फैल रही है। देश के सात राज्यों में संक्रमण की विस्फोटक स्थिति है। ओमिक्रोन के तेजी से प्रसार के कारण मन में यह जिज्ञासा उत्पन्न होती है क्या देश में लाकडाउन लगेगा। देश के सात राज्यों की R वैल्यू 3 के ऊपर है यानी यहां कोरोना विस्फोटक होना तय है। अगर देश में पहले के दो लाकडाउन पर नजर डालें तो देश में कोरोना की स्थिति पहले से ज्यादा भयावह हो रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या देश तीसरे लाकडाउन की कगार पर पहुंच गया है ? क्या सरकार तीसरे लाकडाउन की तैयारी में है ? आखिर इस पर क्या होगी सरकार की रणनीति ? कोरोना से निपटने में सरकार की क्या है तैयारी ?
दूसरे लाकडाउन के बाद देश में स्वास्थ्य सुविधाओं का क्या इंतजाम है?
सवाल यह है कि अगर देश के दूसरे लाकडाउन के फार्मूले पर चलें तो भारत में इसकी कितनी संभावना है। हालांकि, इस बार हालात थोड़े भिन्न हैं। डा. पीएन अरोड़ा का कहना है कि एक राहत वाली बात यह है कि देश में कोरोना की रफ्तार भले तेज हो, लेकिन अस्पताल में संक्रमितों की भर्ती होने का अनुपात दूसरी लहर की अपेक्षा काफी धीमी है। इसके अलावा देश में दूसरे लाकडाउन के बाद देश में स्वास्थ्य सुविधाओं की क्षमता बढ़ी है। कुछ राज्यों को छोड़ दिया जाए तो पहले जैसा पैनिक नहीं है। हालांकि, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में कोरोना की स्थिति थोड़ी गंभीर बनी हुई है। इसके बाद झारखंड, बिहार, यूपी, राजस्थान, गुजरात और हरियाणा में नए मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
लाकडाउन का पहला फार्मूला और ताजा हालात
केंद्र सरकार के पहले फार्मूले को देखा जाए तो लाकडाउन की कितनी संभावना है। संक्रमण की रफ्तार को देखा जाए तो कोरोना के मामलों में ऐसी तेजी पहले कभी नहीं दिखी। इसलिए अगर पहले लाकडाउन के फार्मूले से चलें तो केंद्र सरकार को अब तक लाकडाउन लगा देना चाहिए। इससे संक्रमण की गति को नियंत्रित किया जा सके। तीसरी लहर के दौरान छह जनवरी तक केस डबल होने की रफ्तार 454 दिन पर आ गई और इस दौरान रोज आने वाले कोरोना संक्रमण के मामलों में 18 गुना बढ़ोत्तरी हुई है, लेकिन हालात अभी काबू में है।