जगदलपुर। बस्तर के एक युवा ने पैसों के अभाव में 8 वीं से आगे ना पढ़ पाने के बावजूद स्वयंसेवक बनकर स्वयं के गाँव को शिक्षित करने की मुहिम चालू की है। अपनी पहाड़ जैसी समस्याओं को छोटा मानकर इन्होंने अपने गाँव के विकास को प्राथमिकता दी है। वह शासन की योजनाओं द्वारा गांव के लोगों तक मूलभूत सुविधाओं को पहुंचाने के साथ ही उनकी समस्याओं का निराकरण करने में मदद करना चाहता है। यह कहानी है बस्तर के बकावण्ड विकासखंड के जैतगिरी नामक गाँव मे रहने वाले डोमेश्वर भारती की। युवोदय से जुड़ने के बाद मानों उसकी जिंदगी बदल गई। निराश जिंदगी में ऊर्जा का संचार हुआ और वह कई बच्चों की जिंदगी में शिक्षा की अलख जगाने लगा।
डोमेश्वर ने चौथी कक्षा में ही अपने माता पिता को खो दिया, तब इनकी उम्र 9-10 वर्ष की थी और घर की आर्थिक स्थिति बिल्कुल दयनीय थी। डोमेश्वर के साथ उनके परिवार मे एक बड़ी बहन व बड़े भाई थे। कम उम्र में बहन की शादी हो गयी और बड़े भाई के गलत संगति में पड़ जाने के कारण डोमेश्वर की कठिनाई और बढ़ गई। डोमेश्वर का बड़ा भाई उसके माता पिता के गुजर जाने के पश्चात साथ नही रहता था।जब भी वह घर आता तब अपने भाई के साथ दुर्व्यवहार करता था।उसने घर की सभी वस्तुएँ नशे करने के लिए बेच दी। यू तो चुनौतियां सभी के जीवन मे आती है। कुछ लोग उन चुनौतियां को अपनी समस्या बना लेते हैं औऱ कुछ लोग उसे अवसर में बदल देते हैं।
इसके बाद भी डोमेश्वर ने हार नही मानी। उसने 2017-18 में पूर्व माध्यमिक शाला में सफाईकर्मी का कार्य प्रतिदिवस 2 घण्टे करना शुरू किया, जिससे उसे 1725 रुपये प्रतिमाह प्राप्त होता हैं जिससे वह अपना गुजारा करता है।
जब युवोदय की शुरुवात हुई तब डोमेश्वर ने युवोदय के बारे में यह जानकर कि समुदाय के साथ मिलकर विकास करने के लिए युवोदय से अच्छा मंच उसे नही मिल सकता,उसने युवोदय में वॉलिंटियर के रूप में रजिस्ट्रेशन करवा कर प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस प्रशिक्षण से जब उसे ज्ञात हुआ कि युवोदय कैसे सरकारी योजनाओं का लाभ समुदाय तक पहुंचाने के लिए प्रयास कर रहा है और समुदाय की आवाज को प्रशासन के सामने लाकर रखने में मदद करता है तो डोमेश्वर ने भी सक्रिय रूप से कार्य करने का फैसला लिया। डोमेश्वर ने 8वी तक ही शिक्षा प्राप्त की है। खुद भी शिक्षा से वंचित रहने के अनुभव को याद कर कोई भी गांव का बच्चा इस कोरोना काल मे शिक्षा से वंचित न रहे ,यह सोचकर बच्चो को उसने मार्च 2021 से निःशुल्क शिक्षा प्रदान करना शुरू किया।
डोमेश्वर रविवार के अलावा हर रोज़ 10 बच्चों को निःशुल्क ट्यूशन देता है। साथ ही उसने अब तक गॉव के 403 लोगो को कोरोना टीकाकरण स्वयं रेसिस्ट्रेशन कर करवाने में सहयोग किया।कुपोषित बच्चों को एनआरसी केंद्र पहुंचाने में भूमिका निभाई, विकलांगजनों की UDID कार्ड बनाने में मदद की, मलेरिया मुक्त अभियान में लोगो को जागरूक किया। इसी तरह युवोदय की अनेक प्रकार सामुदायिक गतिविधियों में अपने गांव में बदलाव लाने में युवोदय के वॉलिंटियर डोमेश्वर ने सरहानीय कार्य किया।
डोमेश्वर कहते है :- युवोदय से जुड़कर मेरे जीवन में बदलाव हुआ जिससे मै युवाओं से कहना चाहता हूं कि वे भी आगे आएं और युवोदय से जुड़े। यह सिर्फ समुदाय के विकास के लिए ही नही खुद के विकास में भी सहायक है। पहले मैं लोगो से बात तक नही कर पाता था, मैं हिचकिचाता था। मेरे अंदर डर हमेशा था कि मेरे चारों तरफ कोई नही है अगर मैं कुछ बोलू तो लोग मुझे बुरा न कह दे।लेकिन युवोदय से जुड़कर मैंने स्वयं एवं समुदाय के लोगों को कई गतिविधियों में लाभान्वित करवाया, जिससे आज मुझे लोगो से बात करने में कोई झिझक नही होती है। मुझे आज खुद में आत्मसन्तुष्टि होती है। युवोदय के माध्यम से गांव के लोगो से आज मेरा जुड़ाव हो चुका है। युवोदय ने मुझे अकेले होकर भी सबके साथ जीने की हिम्मत दी है।