जगदलपुर।कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की जयंती के अवसर पर जगदलपुर शहर की युवा कवयित्री ज्योति चौहान ’वीथिका’ का प्रथम काव्य संग्रह ’अंजुरी भर फूल’ का लोकार्पण बस्तर के गांधी पदमश्री धर्मपाल सैनी जी की अध्यक्षता, बस्तर चैम्बर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष श्री किशोर पारख के मुख्य आतिथ्य, और नगरी से पधारी साहित्यकार श्रीमती अमिता दुबे जी, आकाशवाणी जगदलपुर के उप निदेशक (कार्यक्रम) श्री बलबीर सिंह कच्छ जी, श्री श्रवण कुमार सिंह चौहान जी के आतिथ्य में सम्पन्न हुआ।
ज्योति जी के पति शिव प्रताप सिंह जी ने उनके बारे में बताया कि ज्योति जी में किसी भी काम को करने की लगन कूट कूट कर भरी है। प्रकृति के प्रति प्रेम बहुत ज्यादा है इसलिये अपने घर को सजावटी पौधों के द्वारा एक वाटिका का रूप दे दिया है जिसमें पांच सौ से ज्यादा पौधे हैं। कार्यक्रम में पुस्तक की समीक्षा करते हुये जाने माने वरिष्ठ समीक्षक अवध किशोर शर्मा ने बताया कि किसी भी संग्रह को पढ़कर उसकी समीक्षा करना उनको असीम आनंद प्रदान करता है। प्रकृति को समर्पित रचनाओं की उन्होंने तारीफ की।
चर्चित उपन्यासकार शरदचंद्र गौड़ ने काव्य संग्रह की कविताओं को आधुनिक कविताएं बताया और कहा कि ज्यादातर रचनाएं देश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित करने योग्य हैं। ज्योति चौहान की कविता, कहीं अल्पविराम / तो कहीं पूर्ण विराम / बनकर प्रश्नों के सहित / उत्तर की पहचान मैं / हां मैं एक नारी हूं, की विशेष तारीफ की।
स्त्री मुक्ति की कविताएं से अपनी विशिष्ट पहचान बनाने वाली डॉ सुषमा झा ने बताया कि नारी का कविता रचना एक बहुत ही संघर्ष का काम है। अपने परिवार और अपनी जिम्मेदारियों के बीच से वक्त चुराना पड़ता है। इसलिये ज्योति चौहान जी की कविताएं अनमोल हैं। ज्योति जी की कविता गमले और गुलाब के विवाह का पाठ भी किया।पदमश्री धर्मपाल सैनी जी ने काव्य संग्रह के विषयों में प्रकृति और पौधों को लेकर बताया कि वृक्षारोपण और तालाबों का संरक्षण कितना जरूरी है।
श्री किशोर पारख ने ज्योति जी को बधाई देते हुये बस्तर चेम्बर ऑफ कामर्स का साहित्य को हमेशा सहयोग करने का वायदा किया।राजपूत समाज के अध्यक्ष श्री श्रवण कुमार सिंह चौहान ने अपने उद्बोधन में ज्योति जी को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।
नगरी से आयी श्रीमती अमिता दुबे जी ने ज्योति जी के साहित्य के लिये कहा कि ये बस्तर की मिट्टी साहित्य के लिये अत्यंत उपजाऊ है। ज्योति जी के काव्य संग्रह के माध्यम से अपने शहर जगदलपुर और लाला जगदलपुरी जी को याद कर वे भावुक हो गयीं।आकाशवाणी जगदलपुर के उप निदेशक श्री बलबीर सिंह कच्छ ने पुस्तकों की महत्ता की बात की और आकाशवाणी के माध्यम से सहयोग की भी बात की। आपने ’पानी मारी गेला झांई’ गीत सस्वर गाकर सभा को आनंदित कर दिया।
ज्योंति जी ने अपने उद्बोधन में अपने माता पिता और पति के प्रोत्साहन को अपने लेखन का कारण बताया। अपनी माता श्रीमती किरण बैस को विशेष धन्यवाद दिया। इस अवसर पर अपने पिता स्व. मनमोहन सिंह को याद करते हुये याद दिलाया कि वे भी शहर के पुराने वक्त के रंगमंच कलाकार थे। कार्यक्रम का संचालन कर रहे सनत जैन सागर का धन्यवाद ज्ञापित किया।मुंशी प्रेमचंद जी की जयंती पर युवा साहित्यकार डॉ प्रकाश मूर्ति ने अपने आलेख में मुंशी जी की कालजयी रचनाओं पर विस्तृत बात रखी। कहा कि वर्तमान में भी उनकी रचनाएं समाज को रास्ता दिखाने में समर्थ हैं।
कार्यक्रम का संचालन करते हुये साहित्य एवं कला समाज के अध्यक्ष सनत जैन ने ज्योति जी की रचनाओं में विविधता की तारीफ की और कहा कि रचनाएं बताती हैं कि लेखिका पुरानी है भले ही संग्रह अभी प्रकाशित हो रहा है।इस अवसर पर साहित्य एवं कला समाज जगदलपुर द्वारा कवयित्री एवं शिक्षिका श्रीमती सतरूपा मिश्रा जो को कोरोना की प्रथम लहर में स्वयं के खर्चें पर हजारों की संख्या में मास्क स्वयं ही सिलकर बांटने के लिये सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम बस्तर पाति साहित्यिक पत्रिका के नवीन अंक के मुखपृष्ठ का विमोचन भी किया गया। जो कि बस्तर के साहित्यकार श्री त्रिलोक महावर पर केन्द्रित है। विदित हो कि हमारे अंचल बस्तर से लगातार प्रकाशित होने वाली साहित्यिक पत्रिका बस्तर पाति अब वेबसाइट में उपलब्ध है और अंचल के सात्यिकारों की रचनाओं का प्रकाशन कर उनको विशिष्ट मंच प्रदान कर रही है।
शहर के गणमान्य साहियकारों और श्रेष्ठीजनों के बीच यह कार्यक्रम बस्तर चेम्बर ऑफ कामर्स के भवन में आयोजित किया.
कार्यक्रम में शहर साहित्यकार डॉ बी एल झा, जयचंद्र जैन, ऋषि शर्मा ऋषि, विपिन बिहारी दाश, उर्मिला आचार्य, डॉ रूपेंद्र कवि, शशांक शेंडे, ममता मधु, बाबू बैरागी, कृष रामटेके, ज्ञानेंद्र, प्रदीप कैवर्त, पूर्णिमा सरोज, चमेली कुर्रे, अंजली दुबे, शोभा शर्मा आदि के साथ चौहान एवं बैस परिवार उपस्थित था।