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सबके बराबर, कम किसी से नहीं, सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए समान अवसर-रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार

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वैसे तो, भारतीय रक्षा बलों में महिलाओं का प्रवेश ब्रिटिश भारत के समय से ही अलग-अलग स्तर पर रहा है, उनकी भूमिका नर्सिंग और चिकित्सा अधिकारियों से संबंधित ज्यादा थी या तैनाती के दौरान सैनिकों, परिवार और जनता की देखभाल करने की जिम्मेदारी होती थी। हालांकि, शारीरिक विशेषताओं और मातृत्व को लेकर भारतीय सशस्त्र बलों के कुछ वर्गों की चिंताओं के कारण महिलाओं को समान अधिकारनहीं मिले थे। 

सरकार ने महिलाओं को भारतीय रक्षा बलों के गौरवान्वित और आवश्यक सदस्यों के रूप में मान्यता दी है और सामर्थ्य, जो उनके भीतर मौजूद होती है। इस प्रकार से पिछले छह वर्षों में सरकार ने भारतीय रक्षा बलों में महिलाओं को ज्यादा अवसर देने के साथ-साथ महिलाओं और पुरुषों के लिए सेवा की शर्तों में समानता लाने के लिए कई कदम उठाए हैं। आज भारतीय रक्षा बलों के भीतर महिलाएं काफी सशक्त हैं, चाहे वह भारतीय सेना हो, भारतीय नौसेना या भारतीय वायु सेना। रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह के शब्दों में सरकार का यह दृष्टिकोण स्पष्ट होता है, ‘भारत सरकार हमारे सशस्त्र बलों में ‘स्त्री शक्ति’ को मजबूत करने के लिए काम कर रही है और हम इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’

स्वतंत्रता मिलने के बाद, 1992 में महिला विशेष प्रवेश योजना (डब्ल्यूएसईएस) के माध्यम से भारतीय सेना में महिला अधिकारियों की भर्ती शुरू हुई। फरवरी 2019 में, सेना ने आठ वर्गों में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन प्रदान किया, जो हैं सिग्नल्स इंजीनियर, आर्मी एविएशन, आर्मी एयर डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर, आर्मी सर्विस कोर, आर्मी ऑर्डिनेंस कोर और इंटेलिजेंस। इससे पहले जेएजी और एईसी स्ट्रीमों के लिए 2008 में मंजूरी दी गई थी। सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि महिलाओं अधिकारियों और उनके पुरुष समकक्षों के लिए सेवा की अलग-अलग शर्तें हटा दी जाएं। भारतीय सेना में महिलाएं आगे बढ़कर नेतृत्व कर रही हैं। 

यहां तक कि भारतीय नौसना में, 2008 से ही शिक्षा शाखा, कानून और नौसेना कंस्ट्रक्टर्स कैडर्स में महिलाओं के लिए स्थायी आयोग को मंजूरी दे दी गई थी, पर अदालतों में कुछ मुकदमों के कारण इसे अक्टूबर 2020 में लागू किया जा सका। इसके परिणामस्वरूप, पहली बार 41 महिलाओं को योग्यता के आधार पर स्थायी कमीशन प्रदान किया गया है। वास्तव में, भारतीय नौसेना में स्थायी कमीशन अब व्यावहारिक रूप से सभी शाखाओं के लिए उपलब्ध है। न केवल स्थायी कमीशन बल्कि सरकार ने महिला अधिकारियों के लिए अवसरों को भी बढ़ाया है जैसे- दिसंबर 2019 में डोर्नियर एयरक्राफ्ट के लिए नौसेना पायलट के तौर पर पहली महिला अधिकारी का चयन हुआ, सितंबर 2020 में पहली बार सी किंग हेलिकॉप्टर्स में दो महिला पर्यवेक्षक अधिकारियों को शामिल किया गया, नौसना के जहाजों पर सेवा देने के लिए चार महिला अधिकारियों को तैनात किया गया, पहली बार रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट के लिए किसी महिला अधिकारी को नियुक्त किया गया और नविका सागर परिक्रमा, पहली ऐसी परियोजना, जिसमें भारतीय नौसेना की महिला अधिकारियों की एक टीम ने 2017-18 में भारत नौसेना की नौका आईएनएसवी तारिनी से दुनिया का भ्रमण किया। अभियान ने नौसेना में नारी शक्ति का प्रदर्शन किया। 

भारतीय वायु सेना में महिला अधिकारियों का पहला बैच 1993 में शामिल किया गया था। परिवहन और हेलिकॉप्टर स्ट्रीमों में महिला पायलटों का पहला बैच दिसंबर 1994 में भर्ती किया गया। 

हालांकि भारतीय वायु सेना ने महिलाओं के लिए सभी शाखाओं को 2016 में खोला। इसके परिणामस्वरूप, भारत को जून 2016 में पहली महिला फाइटर पायलट मिली। सितंबर 2020 तक भारतीय वायु सेना में 1875 महिला अधिकारी हैं, जिनमें 10 फाइटर पायलट और 18 नेविगेटर शामिल हैं। 

भारतीय वायु सेना में कई महिलाओं ने अपनी उपलब्धियों से देश को गौरवान्वित किया है। 29 मई 2019 को फ्लाइट लेफ्टिनेंट भावना कांत दिन और रात में ऑपरेशन करने वालीं पहली महिला फाइटर बनीं। सारंग फॉर्मेशन ऐरोबैटिक डिस्प्ले टीम में पहली महिला पायलट के तौर पर फ्लाइट लेफ्टिनेंट दीपिका मिश्रा शामिल हुईं। 

मई 2019 में, फ्लाइट लेफ्टिनेंट पारुल भारद्वाज, फ्लाइंग ऑफिसर अमन निधि और फ्लाइट लेफ्टिनेंट हीना जायसवाल भारतीय वायु सेना का विमान उड़ाने वाली पहली ‘सभी महिला’ क्रू बनीं। फाइटर कंट्रोलर के तौर पर स्क्वाड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल को 2019 में कश्मीर के आसमान में दुश्मन की हरकत को नाकाम करने के लिए युद्ध सेवा पदक प्रदान किया गया। विंग कमांडर आशा ज्योतिर्मय के पास देश में सबसे ज्यादा पैरा जंप का रिकॉर्ड है। 

सरकार ने 2017 में सैनिक स्कूल में लड़कियों के लिए प्रवेश शुरू किया। सैनिक स्कूल, छिंगछिप मिजोरम पहला सैनिक स्कूल बना, जहां शैक्षणिक सत्र 2018-19 के लिए लड़कियों को प्रवेश दिया गया। बालिका कैडेटों ने सक्रिय रूप से सभी गतिविधियों में हिस्सा लिया, चाहे वह खेल हो या अकादमिक और उन्होंने सभी गतिविधियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। 

पांच अन्य स्कूलों, जिनमें सैनिक स्कूल बीजापुर और सैनिक स्कूल कोडागु, कर्नाटक में; महाराष्ट्र में सैनिक स्कूल चंद्रपुर; उत्तराखंड में सैनिक स्कूल घोड़ाखाल और आंध्र प्रदेश में सैनिक स्कूल कलिकिरी को शैक्षणिक सत्र 2020-21 और बाकी सैनिक स्कूलों को शैक्षणिक सत्र 2021-22 से लड़कियों को प्रवेश देने के लिए कहा गया था। सरकार के इन कदमों के परिणामस्वरूप, भारतीय रक्षा बलों में महिला अधिकारियों को लेकर लैंगिक पूर्वाग्रह समाप्त हो रहा है। आज ज्यादा महिलाएं रक्षा बलों में शामिल हो रही हैं और देश की सेवा कर रही हैं और देश को गौरवान्वित कर रही हैं।

ओटीए चेन्नई में नई महिला अधिकारी।

सैनिक स्कूल छिंगछिप, मिजोरम में प्रवेश पाने वाली बालिका कैडेटों का पहला बैच। 

फ्लाइट लेफ्टिनेंट भावना कांत दिन और रात में उड़ान भरने वाली पहली महिला पायलट बनीं।

नविका सागर परिक्रमा

फ्लाइट लेफ्टिनेंट शिवांगी, डोर्नियर एयरक्राफ्ट की पहली नेवल पायलट।

डोर्नियर एयरक्राफ्ट पायलटों का पहला बैच।