ह्यूमन राइट्स वॉच ने जारी एक रिपोर्ट में कहा कि मुख्य रूप से ग्लोबल साउथ की महिला ट्रैक एंड फील्ड एथलीट्स को “लिंग जांच” नियमों द्वारा निशाना बनाया जाता है और नुकसान पहुंचाया जाता है. ये नियम 400 मीटर और एक मील की दौड़ में भाग लेने वाली महिलाओं को निशाना बनाते हैं, और ऐसी महिलाओं को मजबूर किया जाता है कि वे चिकित्सीय जांच से गुजरें या उन पर प्रतिस्पर्द्धा से बाहर होने के लिए दबाव डाला जाता है.
दशकों तक, खेल शासी निकायों ने ऐसे “लिंग जांच” नियमनों के जरिए खेल में महिलाओं की भागीदारी को नियंत्रित किया है जो उन महिला एथलीटों को निशाना बनाते हैं.जिनकी यौन विशेषताओं में कुछ विभिन्नताओं के कारण उनके प्राकृतिक टेस्टोस्टेरोन स्तर सामान्य से अधिक होते हैं. ये नियम इन महिलाओं को 400 मीटर और एक मील की दौड़ में महिला के बतौर भाग लेने के अधिकार से वंचित करते हैं, जब तक कि वे आक्रामक परीक्षण और अनावश्यक चिकित्सकीय प्रक्रियाओं से नहीं गुजरती हैं.
ये प्रथाएं निजता, स्वास्थ्य और समानता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती हैं. इसके कारण भारत की दूती चांद और साउथ अफ्रीका की कॉस्टर सेमेन्या जैसी महिला धाविकाओं समेत ग्लोबल साउथ की कई महिलाओं को बेहद नुकसान हुआ है.
युगांडा की धाविका एनेट नेगेसा 2011 में दक्षिण कोरिया के डायगू में विश्व चैंपियनशिप में दौड़ लगाती अपनी तस्वीर को हाथों में थामी हुई थी. नेगेसा को लिंग जांच नियमों के तहत निशाना बनाया गया था और 2012 में उन्हें चिकित्सकीय रूप से अनावश्यक सर्जरी कराने का निर्देश दिया गया.
साक्षात्कार में महिलाओं ने गहरे तौर पर आत्म-निरीक्षण से गुजरने, शर्मिंदा होने, खेल का उनकी जीविका होने पर भी उसे छोड़ने और आत्महत्या के प्रयासों के बारे में बताया. लिंग जांच के बाद अयोग्य घोषित एक धाविका ने बताया: “मैं जांच परिणाम जानना चाहती थी… मैं जानना चाहती थी कि मैं कौन हूं? वे मेरी जांच क्यों कर रहे हैं? वे अन्य लड़कियों की जांच नहीं कर रहे हैं … मैं जानना चाहती थी कि वे मुझे अस्पताल क्यों ले गए, मेरे कपड़े क्यों उतरवाए.
दशकों तक, खेल शासी निकायों ने ऐसे “लिंग जांच” नियमनों के जरिए खेल में महिलाओं की भागीदारी को नियंत्रित किया है जो उन महिला एथलीटों को निशाना बनाते हैं जिनकी यौन विशेषताओं में कुछ विभिन्नताओं के कारण उनके प्राकृतिक टेस्टोस्टेरोन स्तर सामान्य से अधिक होते हैं. ये नियमन इन महिलाओं को 400 मीटर और एक मील की दौड़ में महिला के बतौर भाग लेने के अधिकार से वंचित करते हैं, जब तक कि वे आक्रामक परीक्षण और अनावश्यक चिकित्सकीय प्रक्रियाओं से नहीं गुजरती हैं.