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चित्रकोट में पहली बार स्थानीय पर्यटन समूहों द्वारा पर्यटकों को करवाया गया ट्रैक,आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों से आए सैलानी हुये अभिभूत, पर्वतारोही नैना सिंह धाकड़ द्वारा स्थानीय पर्यटन समूहों के सदस्यों को दिया प्रशिक्षण

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जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के नियाग्रा के नाम से प्रसिद्ध चित्रकोट और चित्रकोट के समीप स्थित पर्यटन केन्द्रों में जिला प्रशासन की अगुवाई में स्थानीय पर्यटन समूह एवं पर्यटन को बढ़ावा देने का प्रयास लगातार जारी है। सैलानियों को ट्रैकिंग की आवश्यक प्रशिक्षण सहित इन्द्रावती नदी किनारे ट्रैक करवाया जा रहा है। जिला प्रशासन पर्यटन को डिजिटल के अनेकों माध्यमों व स्थानीय-ग्रामीण निकायो के द्वारा नया आयाम में पहुँचने में लगा हुआ है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ की पहली महिला पर्वतारोही नैना सिंह धाकड़ द्वारा स्थानीय पर्यटन समूहो के सदस्यों को साहसिक खेलों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसके अंतर्गत ट्रैकिंग की बारीकियों एवं सावधानियों से उन्हें अवगत कराया जा रहा है।

सैलानीयों को प्रशिक्षण उपरांत ट्रेकिंग हेतु चित्रकोट से नीचे उतर कर नदियों के किनारे-किनारे, कठिन रास्तों से होते हुए और घने जंगलों को पार करवाते पर्यटकों को ट्रैक करवाया जा रहा है। बस्तर आने वाले सैलानियों में छत्तीसगढ़ की विभिन्न जिलों के साथ-साथ मुंबई, आंध्रप्रदेश, विशाखापट्टनम से 25 से 30 लोग शनिवार को हुए टैकिंग में शामिल हुए। ट्रैक पूरी करके सभी सैलानियों ने मेंर्दी घुमर की पर्यटन समूह द्वारा बनाएं गये स्थानीय स्वादिष्ट भोजन का स्वाद लिया और इस पूरे ट्रैक का आनंद उठाया साथ ही मुक्तकंठ से तारीफ भी की।

भिलाई से आए ग्रुप के आशीष वर्मा ने कहा कि यह ट्रैक बहुत ही अलग एवं रोमांचित करने वाला था, ऐसे ट्रैक्स में वे बार-बार आना चाहेंगे। इसके अलावा मुंबई से आये पर्यटकों ने अपना अनुभव बताया जिसमें उन्होंने कहा कि वे शुक्रवार रात चित्रकोट में कैंप किए जिसमें उन्हें चित्रकोट की रात्रि का नजारा एवं सुंदर दृश्य देखने को मिला साथ में रोमांचित ट्रैक का लुफ्त उठाने को मिला।

पर्यटकों के लिए जिला प्रशासन की पहल व अथक प्रयास खराब मौसम को भी मात देकर सफल रही। प्रवासी पर्यटक ने स्थानीय पर्यटन समुह से मोहन यादव व गजेन्द्र ठाकुर एवं नैना के द्वारा पर्यटन के लिए किया गया कार्य सराहना किए। पर्यटकों ने बहुत ही ज्यादा इस ट्रैक का आनंद उठाया जो कि रोमांचित एवं यादगार था, साथ ही स्थानीय व्यंजनों का स्वाद और ट्रैकिंग का अनुभव मिला जिससे पर्यटन को बढ़ावा देने से पर्यटन में वृद्धि होती रहेगी और पर्यटकों के मन में बस्तर की याद हमेशा बनी रहेगी।