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सरकार ने इस वजह से रद्द कर दिये 44 करोड़ राशन कार्ड, डिजिटलीकरण अभियान की मदद से हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा

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नई दिल्ली। सरकार ने पब्लिक डिस्ट्रीब्युशन सिस्टम (पीडीएस) से 43 लाख 90 हजार फर्जी और अवैध राशन कार्ड को रद्द कर दिया है. सरकार की तरफ से यह कदम उठाया गया है ताकि योग्य लाभार्थियों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सब्सिडी वाला अनाज वितरित किए जा सकें. खाद्य मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि डुप्लीकेट कार्ड को चिन्हित करना जरूरी है. साल 2013 से पहले बड़ी संख्या में फर्जी और डुप्लीकेट राशन कार्ड थे. बीते सात साल में सरकार ने इस सिस्टम में धोखाधड़ी रोकने पर ध्यान केंद्रित किया है.

अधिकारी ने बताया कि राशन कार्डों के डिजिटलीकरण अभियान ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली की पारदर्शी बनाने और दक्षता में सुधार लाने में मदद की है. उन्होंने कहा, ‘अयोग्य राशन कार्डों को हटाते समय, हम प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए परिभाषिति कवरेज के भीतर नये लाभार्थियों को जोड़ते रहते हैं.’

दो-तिहाई आबादी को एनएफएसए का लाभ

इकोनॉमिक टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से लिखा है कि नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत करीब 81.35 करोड़ लोगों को लाभ मिलता है. यह देश की आबादी का लगभग दो-तिहाई हिस्सा है. फिलहाल करीब 80 करोड़ लोगों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्र योजना के तहत हर महीने 5 किलो मुफ्त अनाज मिल रहा है. सरकार इस योजना का विस्तार कर सकती है. इस योजना को मार्च 2020 में कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न स्थिति से लड़ने के लिए शुरू किया गया था.

बेहद कम दाम पर मिलता है अनाज

अधिकारी ने कहा, एनएफएसए के तहत हम सब्सिडी दर पर 4.2 करोड़ टन अनाज वितरित करते हैं. गेहूं को 2 रुपये प्रति किलोग्राम और चावल 3 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव से यह वितरित किया जाता है. इसके अतिरिक्त हम PMGKAY के तहत हर महीने 3.2 करोड़ टन मुफ्त अनाज का वितरण कर रहे हैं. कोरोना काल में भी दोनों स्कीम के तहत यह वितरण किए जा रहे हैं.’

एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना से प्रवासी मजदूरों को मिलेगी मदद

केंद्र सरकार ने ‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ योजना पर भी तेजी से काम कर रही है ताकि प्रवासी मजदूरों को जल्द से जल्द इसका लाभ मिल सके. इस योजना के तहत देश के किसी भी हिस्से में योग्य व्यक्ति को सरकारी सब्सिडी दर पर राशन मिल सकेगा. अब तक, सरकार को नेशनल पोर्टेबिलिटी क्लस्टर के तहत 28 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को इस योजना के लिए एक साथ लाने में सफलता मिली है.