कोंडागांव। केशकाल के धनोरा थाना क्षेत्र में अलग कानून चलता है. यही कारण है कि यहां नित नए मामले प्रकाश में आ रहे हैं. इसमें कई मामले ऐसे हैं जिनमें एफआईआर तक दर्ज नहीं किया गया. यहां तक कि गैंगरेप के मामले को भी दफ्न कर दिया गया था.
ताजा मामला ग्राम सवाला का है जहां सविता यादव (बदला हुआ नाम) का डेढ़ साल से हुक्का पानी बंद कर दिया गया है. इसके चलते वो किसी के घर आना-जाना नहीं कर सकती. वह गांव के दुकानों से राशन भी नहीं खरीद सकती. अपने घर में मजदूर भी नहीं बुला सकती.
क्या है मामला?
सविता ने बताया कि 12 मई 2019 की रात 9 बजे उसके घर में मानूराम मंडावी पिछले दरवाजे को तोड़ते हुए बद्नियति से घुसा आया. उस समय वह अपने 5 वर्षीय भतीजे के साथ घर पर सो रही थी. सविता मानूराम को सामने देखकर हक्की बक्की रह गई. इसके बाद मानूराम मंडावी ने उससे छेड़खानी शुरू कर दी. इसका विरोध करने पर उससे मारपीट की. उसने सविता के कान को दांतों से काटकर अलग कर दिया. सविता चिल्ला चिल्लाकर पड़ोसियों से सहायता मांगने लगी, लेकिन कोई नहीं आया. रात को ही 12 बजे सविता ने स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में जाकर आपना इलाज कराया और दूसरे दिन थाने में इसकी शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद करीब 1 हफ्ते तक वह सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र केशकाल मे भर्ती भी रही.
केस वापसी का बनाया दबाव
धनोरा थाने में 13 मई 2019 को धारा 354, 456, 506, 324 के तहत मामला दर्ज कर आरोपी को जेल भेज दिया गया था. दो माह पहले ही वह जेल से छूटा है. तब से सविता एवं उनका परिवार दहशत में है. सविता के पिता ने तत्कालीन पुलिस अधीक्षक कोंडागांव को पत्र लिखकर अवगत कराया था कि उनकी जान को खतरा बना हुआ है क्योंकि उन्हें केस वापस लेने के लिए लगातार दबाव डाला जा रहा है.
समाज से किया गया बहिष्कृत
25 मई 2020 को सवाला में ग्राम प्रमुखों ने बैठक रखकर वहां सविता एवं उसके परिवार को बुलाया गया था, जहां समाज प्रमुखों ने कहा कि अब तुम मामले मे समझौता कर लो. यदि तुम समझौता नहीं करोगे तो तुमको गांव से बहिष्कृत कर दिया जाएगा. किंतु सविता एवं उसका परिवार राजीनामा को तैयार नहीं हुआ. तत्पश्चात गांव वालों ने यह ऐलान कर दिया कि 12 मई 2019 से सविता एवं उसके परिवार का हुक्का पानी बंद कर दिया जाता है.
डेढ़ साल से यातनाएं झेल रहा परिवार
उनके घर में जो भी आना जाना करेगा उसे भी दंडित किया जाएगा इसलिए कोई भी उनके घर में आना-जाना न करें न ही वह किसी के घर में आना-जाना करेंगे. यहां तक की दुकानों में भी सामान खरीदी के लिए नहीं जाएंगे तब से लेकर अब तक यह परिवार गांव से बहिष्कृत है. इस बीच उन्हें तरह-तरह की यातनाएं झेलनी पड़ी है. खेती किसानी के लिए मजदूर नहीं आते. किसी से सहयोग नहीं मिलता.
बातचीत करने पर जुर्माना
सविता के पिता ने बताया कि जिस दिन थाना में रिपोर्ट दर्ज हुआ उसी दिन से उनकी पुत्री एवं परिवार को बहिष्कार कर दिया गया है. गांव में यह फरमान जारी कर दिया गया कि इस परिवार के साथ कोई बातचीत करेगा तो उसे 500 जुर्माना होगा. इनके परिवार में संकट के समय भी नहीं जाना है न ही उनके परिवार का कोई व्यक्ति किसी के घर में जाएगा न किसी की दुकान से सामान खरीदेगा. तब से लेकर आज तक यह परिवार बहिष्कृत होने का दंश झेल रहा है. सविता 12 किमी दूर एक अन्य गांव में एएनएम नर्स के पद पर पदस्थ है. वह अविवाहित है. पहले अकेली रहती थी किन्तु अब उनके पिता उनके साथ रहते हैं ताकि बेटी के साथ कोई घटना घटित न हो जाए.