जगदलपुर। बस्तर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं विधायक लखेश्वर बघेल ने कहा है कि किसानों की झूठी चिंता करने से पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय, पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और भाजपा नेता पहले यह बता दें कि वे किसानों को समर्थन मूल्य और बोनस देने के पक्ष में हैं या नहीं? किसानों से 20 क्विंटल धान ख़रीदी की मांग पर उन्होंने कहा है कि इसी भाजपा ने सरकार में रहते हुए किसानों से सिर्फ़ 10 क्विंटल धान ख़रीदने का फ़ैसला किया था। कांग्रेस के नेतृत्व में, किसानों के आंदोलन के बाद ही सरकार 15 क्विंटल धान ख़रीदने के लिए बाध्य हुई थी।उन्होंने कहा है कि भाजपा ने हर साल धान का 300 रुपए बोनस देने की बात कही थी लेकिन किसानों को बोनस सिर्फ़ चुनावी साल में मिल पाया। 2100 रुपए समर्थन मूल्य दिलाने का वादा तो भाजपा कभी पूरा ही नहीं कर पाई।
प्राधिकरण अध्यक्ष लखेश्वर बघेल ने पूछा है कि केंद्र की भाजपा सरकार ने जब छत्तीसगढ़ सरकार से कह दिया कि अगर किसानों को बोनस दिया गया तो केंद्र सरकार राज्य से चावल नहीं लेगी तब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बताएं कि प्रदेश के किस सांसद ने केंद्र सरकार के सामने यह बात उठाई थी कि किसानों का बोनस मिलना ही चाहिए।उन्होंने कहा है कि किसानों को धान का 2500 रुपए प्रति क्विंटल भुगतान करने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ शुरु की और सुनिश्चित किया कि किसानों का नुकसान न हो। लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने तो तीन काले क़ानून बनाकर किसानों का अहित सुनिश्चित कर दिया है। केंद्र सरकार की समर्थन मूल्य ख़त्म करने की साज़िश पर भाजपा नेता चुप हैं। न वे मंडियों और सहकारी समितियों को ख़त्म करने पर कुछ कह रहे हैं और न ठेका खेती शुरु करने पर कुछ कह रहे हैं।
भाजपा नेताओं के बयान को घड़ियाली आंसू बताते हुए विधायक लखेश्वर बघेल ने कहा है कि भाजपा नेता पहले तय कर लें कि वे प्रदेश के किसानों के साथ खड़े हैं या नहीं फिर बयानबाजी करें। अगर वे प्रदेश के किसानों के हक़ में सोच रहे हैं तो उन्हें तीनों काले कानूनों का विरोध करना चाहिए और केंद्र सरकार से कहना चाहिए कि वह यह घोषणा करे कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दरों पर किसी भी कृषि उत्पाद की ख़रीदी को क़ानूनन अपराध घोषित किया जाएगा। चंद उद्योगपति मित्रों के लिए कालाबाज़ारी और जमाखोरी को बढ़ावा देने वाले क़ानून बनाने वाली मोदी सरकार और भाजपा का सच किसान भली भांति समझ रहे हैं। वे जानते हैं कि कौन सी सरकार और कौन सी पार्टी किसानों के पक्ष में खड़ी है।