रायपुर।छालीवुड के लिए जयापति का नाम अनजान नहीं है। अनेक एलबम्स, डॉक्यूमेंट्रीस तथा फिल्मों में अभिनय करके उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। न्यूज चैनल आईबीसी 24 के धारावाहिक गुनाह में काम करके उन्होंने अपने अभिनय का लोहा मनवाया है। हालांकि छत्तीसगढ़ी फिल्मों में वे अभी भी सक्रिय हैं परंतु उन्हें संतोष नहीं हैं। उनका कहना है कि वे छालीवुड की फिल्मों में ऐसी भूमिका की तलाश कर रही हैं, जो समाज को प्रेरणा व संदेश देने वाली हों। छालीवुड के अनेक निर्माता-निर्जेशकों के साथ उनकी चर्चाएं चल रही हैं। उन्हें उस पल का इंतजार है, जब उन्हें अपने सपनों की भूमिका मिल जाए।
जयापति बुनियादी तौर पर कलाकार हैं। स्कूल से लेकर कॉलेज तक उन्होंने गीत-संगीत के साथ नाटकों में काम करके यह साबित किया है कि उनके अंदर जन्मजात कलाकार है लेकिन अभिनय की दुनिया में उन्होंने पिता की एक सीख के बाद कदम रखने का फैसला किया। दस साल की अबोध जयापति एक दिन सिनेमा देखने जाने की तैयारी कर रही थी। पिता के पूछने पर जब उन्होंने बताया कि वे सिनेमा देखने जा रही हैं तो पिता ने अनायस ही कह दिया कि कितना अच्छा होता कि एक दिन ऐसा आजा, जब अन्य लोग तुम्हारे काम को दखने के लिए इसी प्रकार से आतुर होते। पिता की यह बात अबोध जयापति के दिल पर उतर गई और उसी रोज उन्होंने तय कर लिया कि आगे चलकर वे अभिनय की दुनिया में अपना भाग्य अपनाएंगी।
मूलत: ओडिसा की रहने वाली जयापति पति के साथ 2003 में रायपुर आईं। भारत सरकार के एक विभाग में उनके अधिकारी पति तो रायपुर आकर अपने काम में लग गए परंतु जयापति के अंदर अभिनय का कीड़ा कुलबुला रहा था, लिहाजा, उन्होंने 2004 में एक फैशन शो के माध्यम से छत्तीसगढ़ी सिनेमा जगत में दस्तक दी। जौहरियों ने उन्हें देखा और उनकी प्रतिभा को मंच पर ही परख लिया। इसके बाद उनके पास एलबम करने के ऑफर्स आने लगे। कई एलबम्स में भांति भांति की भूमिकाएं निभाने के बाद उन्होंने कई डॉक्यूमेंट्रीस में काम किया।
राज्य के अनेक फिल्म निर्माताओं के साथ उन्होंने काम किया लेकिन उन्हें सबसे बड़ा ब्रेक उस वक्त मिला, जब न्यूज चैनल आईबीसी 24 के धारावाहिक गुनाह में भूमिका निभाने का ऑफर मिला। गुनाह के छह धारावाहिकों में काम करने से उन्हें एक नई पहचान मिली, जिससे अभिनय की दुनिया में आगे बढऩे में उनकी मदद हुई।
जयापति को इस बात का गर्व है कि वे छालीवुड परिवार की सदस्य हैं। उन्हें छत्तीसगढ़ी फिल्मों का भविष्य बहुत उज्ज्वल लगता है। उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ी फिल्मों से जुड़ा हर व्यक्ति बेहद मेहनती व अपने काम के प्रति ईमानदार है। यहां कलाकारों व उसकी कला का सम्मान किया जाता है। इससे कलाकारों को अच्छा काम करने की प्रेरणा मिलती है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिवार में ब्याही गईं जयापति को समाजसेवा करने का बहुत शौक है। जरूरतमंदों की मदद के लिए उनके हाथ सदैव उठे रहते हैं। गीत-संगीत के साथ अभिनय में उनकी रुचि है।
इसके चलते वे बच्चों और नौजवानों को भी प्रेरित करती रहती हैं। अवसरों के अनुसार परिधान पहनने के अलावा घूमना-फिरना और नए-नए लोगों से मिलने का शौक है और उतने ही शौक के साथ वे घर का किचन सम्भालती हैं। अच्छा खाना बनाना, खाना और खिलाने के अलावा घर की सजावट करने में उन्हें बड़े आनंद की अनुभूति होती है। वैसे तो वे व्यस्त रहती हैं परतिु जैसे ही समय मिलता है, नए-पुराने गीत सुनने लगती हैं और उस वक्त वे यह गीत जरूर सुनती हैं…तुमको देखा तो ये ख्याल आया, जिंदगी धूप तुम घना साया…..