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“मेरी इंद्रावती मेरा भविष्य” मुहिम से जुड़े जागरूक लोग बाइक रैली की शक्ल में पहुँचे जोरा नाला, रूबरू हुये वस्तुस्थिति से, रास्ते में किया जनजागरण, इंद्रावती बचाने लगातार जारी रहेगी मुहिम

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जगदलपुर। मेरी इंद्रावती मेरा भविष्य मुहिम चरणबध्द तरीके से आगे बढ़ रही है। उल्लेखनीय है कि जल संकट कि तस्वीरें सामने आने के बाद से ही पूरा बस्तर व्याकुल एवं उद्वेलित हो उठा है। जगह जगह विभिन्न जनजागरण और विरोध प्रदर्शन हो रहें हैं।विगत दिनों शहर के जागरूक लोगों ने स्थानीय शहीद पार्क में जल संकट के विषय पर चर्चा करने एक बैठक आहूत की थी। जिसके बाद “मेरी इंद्रावती मेरा भविष्य” नामक मुहिम की शुरुवात शहर के जागरूक एवं सामाजिक लोगों द्वारा किया गया।

दो दिनों में ही पाँच सौ से अधिक लोग इस मुहिम से जुड़ें और अपने सुझाव व विचार रखने लगे। हस्ताक्षर अभियान के साथ ही रविवार को तय कार्यक्रम के अनुसार सुबह 8 बजे स्थानीय सिरहासार चौक से मुहिम से जुड़े अनेक लोग जोरा नाला की ओर बाइक रैली की शक्ल में नारेबाजी करते निकले ताकि वहाँ कि वस्तुस्थिति को समझा जा सके और उस आधार पर आगे की रणनीति तैयार की जा सके। इस दौरान बाइक रैली की शक्ल में निकला काफिला जगह-जगह रुककर नारों के माध्यम से जनजागरण करते रहे। नारों में प्रमुख रूप से “हमने यह ठाना है, इंद्रावती बचाना है”, “रहेगा पानी रहेगा जीवन”, “जल है तो कल है”, “जल ही जीवन है” आदि नारे लगते रहे।

मुहिम में शामिल बस्तर चैम्बर ऑफ कमर्स के अध्यक्ष किशोर पारेख ने बताया कि जोरा स्ट्रक्चर को देखने के बाद यह स्पष्ठ समझ में आता है कि पर्याप्त मात्रा में पानी बस्तर न पहुंच पाने का वास्तविक कारण क्या है। छत्तीसगढ़ सरकार और ओडिशा सरकार को मिलकर इसका रास्ता निकालना होगा तभी समस्या का समाधान हो सकेगा। केंद्र सरकार को भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जल्द हस्तक्षेप करना होगा तभी कोई कारगर व स्थायी हल निकल पायेगा।

मुहिम से जुड़े वरिष्ठ गोपाल सिन्हा ने बताया कि कई वर्षों से इंद्रावती को लेकर समय समय पर कई आंदोलन हुये जिसके फलस्वरूप दोनों राज्यों पर जल बटवारें को लेकर थोड़ा बहुत दबाव बना रहता था पर विगत कुछ वर्षों से जनता की खामोशी ने इस विषय पर चिंतन हटा दिया और परिणाम हम सभी के सामने है।

वहीं मुहिम से जुड़े टी.महेश ने बताया कि इस मुहिम के माध्यम से बस्तर को जल संकट से उभारने के लिये चरणबद्ध तरीके से गतिविधियां एवं आंदोलन किये जायेंगे। मुहिम के ही माध्यम से शोध, जनजागरण, जल संचयन, जल संरक्षण, वृक्षारोपण, जन-संगठन कर चरणबद्ध तरीके से आंदोलन किया जाएगा । इस विकट परस्थिति में बस्तर के हर एक नागरिक की जवाबदारी बनती है कि वो एक-एक बूंद पानी की कीमत समझे व औरों को भी समझाएं।

इस दौरान प्रमुख रूप से किशोर पारेख, गोपाल सिन्हा, रोहित सिंह आर्य, टी. महेश, परमेश राजा, अनिल सामंत, श्रीनिवास रथ, लखपाल सिंह, मनीष मूलचंदानी, अनिल अग्रवाल, गाजिया अंजुम, अमित रामटेके, श्रीनिवास रथ, अनिल सामंत, लक्ष्मी कश्यप, बबला यादव, बादशाह खान, समीर खान,भोलेन्द्र पांडेय, हरीश पारेख, केशव कुमार, हिमांशु देवांगन, ऋषभ राव, सहित काफी संख्या में लोग स्वस्फूर्त शामिल हुए।

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