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लम्बे समय बाद बीपीएस की हुई बहाली लेकिन तब तक कई लोगों के बिके ट्रक और उजड़ी जिंदगी, क्या बहाली के बाद बीपीएस इन उदास चेहरों पर मुस्कान ला पायेगा?

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जगदलपुर। हर चेहरे पर आज हंसी थी,इस मुस्कुराहट के पीछे वो लम्बा संघर्ष और उम्मीद थी। बस्तर परिवहन संघ का ताला तो आज खुल गया चुनाव से पहले कांग्रेस ने जो वादा किया था वो भूपेश सरकार ने पूरा किया। मंत्री कवासी लखमा, विधायक रेखचन्द जैन,कांग्रेस प्रदेश महासचिव मलकीत सिंह गैदु के प्रयासों और बस्तर परिवहन संघ के सदस्यों के संघर्ष का परिणाम है कि एशिया की सबसे बड़ी संस्था आज पुनर्जीवित हो गई।

बस्तर परिवहन संघ के भंग होने के बाद यहां संचालित लगभग तीन हज़ार ट्रकों में से लगभग ढाई सौ से लेकर चार सौ ट्रक या तो बिक चुकी हैं या फाईनेंस कम्पनियों द्वारा जब्त कर ली गई हैं। ट्रकों के मालिक ऑटो ड्राइवर बन गए हैं।परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है।प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे आज सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं। जो कभी ट्रकों के मालिक हुआ करते थे आज लोगों के यहां नौकरी करने को मजबूर हैं।

दो गुटों की लड़ाई का खामियाजा इन बेगुनाहों को भुगतना पड़ा। वे दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो गए हैं। सबसे बड़ा प्रश्न इस वक्त यही है कि क्या बस्तर परिवहन संघ बहाली के बाद इन परिवारों के बारे में कोई ठोस कदम उठा पायेगा। क्या अपने साथियों को बेपटरी हुई जिंदगी को फिर से पटरी पर लौटा पायेगा। हालांकि संघ के पूर्व सचिव राजीव शर्मा ने यह आश्वासन दिया है कि बीपीएस के चुनाव होने के बाद नई कार्यकारिणी में बिके ट्रकों के मालिकों के बारे जरूरी विचार विमर्श कर कोई ठोस कदम उठाया जाएगा।