सुप्रीम कोर्ट में एक शख्स ने याचिका दाखिल कर दावा किया है कि उसका दिमाग मशीन से कोई और कंट्रोल कर रहा है।
अब जैसे ही जज साहब के सामने याचिका पहुंची, तो उन्होंने इसपर हैरानी जाहिर की और विचित्र करार दे दिया।
साथ ही कह दिया कि इसमें दखल कैसे दिया जा सकता है। इसके बाद याचिका को खारिज कर दिया।
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से विचित्र प्रार्थना की गई है कि कुछ अन्य लोगों की तरफ से कोई मशीन चलाई जा रही है, जिसके जरिए उसके दिमाग पर नियंत्रण किया जा रहा है। हमें इस मामले में हस्तक्षेप करने की कोई गुंजाइश या कारण नजर नहीं आता है।’
क्या था मामला
याचिकाकर्ता ने इससे पहले आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उन्होंने कहा था कि कुछ लोगों ने CFSL यानी सेंट्रल फॉरेंसिक साइंटिफिक लेबोरेटरी से ह्यूमन ब्रेन रीडिंग मशीनरी हासिल कर ली है और उसका इस्तेमाल उनके ऊपर किया गया।
याचिकाकर्ता ने अदालत से मशीन को डिएक्टिवेट करने के निर्देशों की मांग की थी।
इसके बाद CFSL, CBI ने हाईकोर्ट में हलफनामा दिया कि याचिकाकर्ता पर ऐसी कोई भी फॉरेंसिक जांच नहीं की गई है। ऐसे में मशीन डीएक्टिवेट करने का सवाल ही नहीं उठता।
इसके बाद हाईकोर्ट ने नवंबर 2022 में याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद पेशे से टीचर याचिकाकर्ता ने आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन दाखिल की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
27 सितंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी को निर्देश दिए कि याचिकाकर्ता के साथ उनकी मातृभाषा में बातचीत की व्यवस्था की जाए, ताकि उनकी परेशानी को समझा जा सके।
याचिकाकर्ता से बात करने के बाद SCLSC ने अदालत में रिपोर्ट दाखिल की थी कि वह दिमाग कंट्रोल करने वाली मशीन को डिएक्टिवेट करना चाहता है।
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