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देखिए, इस युवक का जुनून, अकेले बना डाला पूरा महल, खुद ही नक्शा बनाया, ईंटे गढ़ीं और उन पर उकेरीं अद्भुत नक्काशियां

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कहते हैं कि अगर आप किसी चीज़ को पूरी शिद्दत से चाहें, तो सारी क़ायनात उसे आप से मिलाने में लग जाती है. इसकी एक मिसाल, मध्य-पूर्वी देश लेबनान में मिलती है. जहां एक शख़्स ने अकेले पूरा महल खड़ा कर डाला. लेबनान का मशहूर बेतद्दाइन महल, अठारहवीं सदी के आख़िर में बना था. इस महल को लेबनान के शासक अमीर बशीर शिहाब द्वितीय की याद में बनवाया गया था.

कहा जाता है कि जब ये महल बन कर तैयार हो गया, तो इसके कारीगरों के हाथ काट दिए गए थे, ताकि वो इस तरह का कोई दूसरा महल न बना सकें.रख-रखाव की कमी के चलते महल की हालत बुरी हो गई थी. तब, 1950 के दशक में इसकी मरम्मत कराई गई.

महल की मरम्मत करने वालों में मूसा मामरी नाम का एक युवक भी था. महल के संरक्षण का काम करते हुए मूसा ने उसके पास ही ख़ाली पड़ी ज़मीन का पता लगाया. 1962 में मूसा मामरी ने अपने ख़ुद के महल की बुनियाद रखी.वो बचपन से ही ये महल बनाने का ख़्वाब देखते थे. अपने सपनों के महल की तस्वीरें भी मूसा क्लासरूम में बनाया करते थे. इसके लिए मूसा मामरी के टीचर उनकी पिटाई भी करते थे.

लेकिन, महल की मरम्मत के दौरान ही, मिला ज़मीन का ये ख़ाली टुकड़ा मूसा को उनके बरसों से पाले जा रहे ख़्वाब के क़रीब ले आया था.अब वो इस पर अपने सपनों का महल तामीर कर सकते थे. जिसकी उन्होंने साठ के दशक में शुरुआत भी कर दी.

मूसा मामरी ने अपने क़िले का नक़्शा ख़ुद बनाया. उन्होंने इसके लिए ईंटें भी ख़ुद गढ़ीं और उन पर तरह-तरह की नक़्क़ाशियां उकेरीं. क़रीब 3500 वर्ग फुट में फैला मूसा के ख़्वाबों का ये महल, उनकी दिन-रात की मेहनत का नतीजा है.इसके हर पत्थर पर अलग-अलग डिज़ाइन बने हैं. एक-एक पत्थर को ख़ुद मूसा ने तराशा था.

इस महल के दरवाज़े पर लिखा है कि, ‘मैं यहां एक युवक के तौर पर दाख़िल हुआ था और एक बुज़ुर्ग इंसान के तौर पर बाहर निकला हूं. मूसा के बेटे ज़ियाद अल मामरी बताते हैं कि उनके पिता इस नेम प्लेट के ज़रिए ये बताना चाहते थे कि उन्होंने इस इमारत को बनाने में अपनी सारी उम्र लगा दी.

मूसा मामरी के बनाए इस महल में 30 से ज़्यादा कमरे हैं. हर कमरे में आदमकद बुत हैं, जिनकी तादाद 150 से ज़्यादा होगी. इन में से कुछ बुतों को पत्थर तराश कर बनाया गया है, तो कुछ को प्लास्टर से गढ़ा गया है.

इन बुतों के ज़रिए मूसा मामरी ने लेबनान के इतिहास, यहां की संस्कृति, परंपरा और विरासतों की गवाही दिलाने की कोशिश की है. मूसा की गढ़ी मूर्तियों में लेबनान के ग्रामीण जीवन की झलक मिलती है.मूसा के बनाए महल को 1969 में आम लोगों के लिए खोल दिया गया था. तब से ये लेबनान के प्रमुख टूरिस्ट आकर्षणों में से एक है.