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राजधानी में तीन दिन तक पानी की किल्लत: इलाके के 40% लोग रहेंगे परेशान, दिल्ली जल बोर्ड ने कहा- पानी का विवेकपूर्ण उपयोग करें

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दिल्ली: इस बार राजधानी क्षेत्र को गोवर्धन पूजा और भैया दूज जैसे महत्वपूर्ण त्योहारों पर जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। राजधानी में जल समस्या का मुख्य कारण गंग नहर और यमुना नदी से जलापूर्ति न होना है। इस समय गंग नहर में सफाई का काम चल रहा है, जिसके कारण गंग नहर से जलापूर्ति बंद कर दी गई है। वहीं, यमुना नदी के पानी में आंवला की मात्रा सामान्य से कहीं अधिक बढ़ गई है, जिसका सीधा असर जल शोधन संयंत्रों पर पड़ रहा है। दिल्ली जल बोर्ड के वजीराबाद, चंद्रावल, सोनिया विहार और भागीरथी जल शोध संयंत्र इस समय अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि यमुना नदी के पानी में आंवला की अधिकता के कारण पानी को शुद्ध करने में दिक्कतें आ रही हैं।

यमुना में आंवला का स्तर 1 पीएम (पार्ट्स पर मिलियन) से अधिक हो गया है, जबकि जल शोधन के लिए इसकी सुरक्षित मात्रा 0.5 पीएम से कम होनी चाहिए। आंवला संयंत्रों में जल शोधन की प्रक्रिया धीमी हो जाती है, जिससे पानी की आपूर्ति कम हो जाती है।  दिल्ली जल बोर्ड ने लोगों को पानी का विवेकपूर्ण उपयोग करने और किसी भी तरह के पानी की बचत करने की सलाह दी है। दिल्ली में जलापूर्ति मुख्य रूप से गंग नहर, यमुना और नदी संसाधनों से होती है। हालांकि, गंग नहर में सफाई कार्य के कारण वहां से जलापूर्ति बंद है। ऐसे में यमुना नदी के पानी पर निर्भरता बढ़ गई है, लेकिन अमेरिका की अधिकता ने इस पानी को खोजने में बाधा उत्पन्न कर दी है।

जल संकट के कारण कई इलाकों में जलापूर्ति प्रभावित हुई है। जल बोर्ड के अधिकारियों ने जल चमत्कार की व्यवस्था की ताकि लोगों को संकट के समय कुछ राहत मिल सके। हालांकि, त्योहारों के दौरान पानी की मांग अधिक होती है, इसलिए जल संकट को लेकर लोगों में चिंता बढ़ रही है। अधिकारियों ने कहा कि गंगा में सफाई का काम पूरा होने के बाद जलापूर्ति में सुधार किया जाएगा।

गंगा नहर से जल बोर्ड के सोनिया विहार और भागीरथी जल शोधन संयंत्र को कच्चा पानी मिलता है। अब गंग नहर बंद होने के कारण इन दोनों संयंत्रों को यमुना नदी से जोड़ दिया गया है। हालांकि यमुना नदी में पानी की मात्रा बढ़ने के कारण वजीराबाद और चंद्रावल प्लांट में इन प्लांट की मदद से पानी का उत्पादन किया जा रहा है। पूर्वी एशिया में करीब 40 फीसदी जलापूर्ति प्रभावित हो रही है।