टोक्यो। जापान में हालिया आम चुनाव में लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) और उसके सहयोगी कोमिटो का सत्तारूढ़ गठबंधन बहुमत के आंकड़े से पीछे रह गया है। यह पहली बार है कि बीते 15 वर्षों में एलडीपी और उसके सहयोगी ने निचले सदन में अपना बहुमत नहीं पा सके है। इससे पहले, उन्हें यह स्थिति 2009 में भी अनुभव हुई थी। चुनाव परिणामों के अनुसार, एलडीपी और कोमिटो को संसद के 465 सदस्यों वाले सदन में कुल 215 सीटें प्राप्त हुईं, जो बहुमत के लिए जरुरी 233 सीटों से कम हैं। एलडीपी ने सिर्फ 191 सीटें जीतीं, जो कि चुनाव से पहले उनके पास मौजूद 247 सीटों की तुलना में काफी कम है। वहीं, प्रमुख विपक्षी पार्टी, जापान की संवैधानिक लोकतांत्रिक पार्टी ने चुनाव में महत्वपूर्ण बढ़त हासिल की है, जिससे यह पार्टी 148 सीटों पर पहुंच गई है, जबकि चुनाव से पहले उनके पास केवल 98 सीटें थीं। यह चुनाव परिणाम मीडिया की पूर्वानुमानों के अनुरूप आए हैं और यह स्लश फंड घोटाले के बाद पहला राष्ट्रव्यापी मतदान है, जिसने सत्तारूढ़ पार्टी को हिलाकर रख दिया था। इस घोटाले के कारण जनता का एलडीपी में विश्वास कम हुआ, जिसके परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।
राजनीतिक परिदृश्य में नए बदलाव की संभावना
इस चुनाव में कुल 1,344 उम्मीदवारों ने भाग लिया, जो कि 2021 के पिछले चुनाव में 1,051 उम्मीदवारों की तुलना में अधिक हैं। इस चुनाव का महत्व इस कारण भी बढ़ गया है क्योंकि यह देश की राजनीतिक दिशा और भविष्य के लिए महत्वपूर्ण निर्णयों का संकेत देता है।एलडीपी और कोमिटो के बहुमत खोने के बाद राजनीतिक परिदृश्य में नए बदलाव की संभावना बनाती दिख रही है, जिससे आने वाले समय में देश की राजनीति में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिलेगा हैं। विपक्षी पार्टी की बढ़ती ताकत और सहयोगी दलों की सक्रियता के चलते जापान की राजनीति में नए समीकरणों का गठन हो सकता है, जो कि भविष्य के चुनावों में और भी प्रभावी साबित हो सकता है।