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नए साल का पहला चंद्र ग्रहण 21 जनवरी को, सुपर ब्लड वुल्फ मून को देखकर चिल्लाते हैं भेड़िये

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नए साल का पहला ग्रहण चंद्र ग्रहण 21 जनवरी को लगने वाला है। इसे सुपर ब्लड वुल्फ मून भी कहा जा रहा है। 20 और 21 जनवरी की दरम्यान लगने वाला ग्रहण तीन चरणों में लगेगा। इस दौरान पूरा आकाश लाल रंग का चमक उठेगा। चंद्रमा पर लगने वाली इस पूरी प्रक्रिया को नासा ने मोस्ट डैजलिंग शो यानी सबसे चमकदार शो कहा है। चूंकि इस दौरान चांद पृथ्वी के सबसे करीब होगा इसलिए इसे सुपरमून भी कहा जाता है।

चांद होगा धरती के बहुत करीब
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक सुपर मून या फुल मून पर चंद्रमा अन्य दिनों के मुकाबले धरती के सबसे करीब 3,63,000 किमी दूर होता है। जब चंद्रमा पृथ्वी से सर्वाधिक दूरी पर होता है तब वह 4,05,000 किमी की दूरी पर होता है।

क्यों कहा जाता है ब्लड मून
नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के रिसर्च साइंटिस्ट डॉ नोआह पेट्रो के मुताबिक सुपर मून पर चंद्रमा आम दिनों के मुकाबले 14 फीसदी बड़ा और 30 फीसदी अधिक चमकदार होता है। इस दौरान चांद का रंग लाल तांबे जैसा नजर आता है, इसलिए इसे ब्लड मून भी कहा जाता है। ग्रहण के दौरान चंद्रमा के रंग बदलने पर वैज्ञानिकों का मानना है कि इस दौरान सूरज की रोशनी धरती से होकर चंद्रमा पर पड़ती है। हमारे ग्रह की छाया पड़ने की वजह से चंद्रमा का रंग ग्रहण के दौरान बदल जाता है।

भेड़िए क्यूं लगाते हैं आवाज
पुरातन जमाने से मौसमी परिवर्तनों की जानकारी के बारे में भविष्यवाणी करने का तरीका अलग रहा है। इस ग्रहण को अमेरिकी जनजाती वुल्फ मून कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि पूर्णिमा की रात को भोजन की तलाश में निकलने वाले भेड़िये उसे देखकर जोर-जोर से आवाज लगाते हैं। इसलिए इस चंद्र ग्रहण को वुल्फ मून भी कहा जाता है।