जगदलपुर। बस्तर के लोकप्रिय न्यूज पोर्टल महिलामीडिया डॉट इन ने तीन महीने पहले ही खबर के माध्यम से भाजपा को सतर्क कर दिया था कि विधानसभा चुनाव में चारों वर्तमान विधायकों को नहीं बदला गया, तो पार्टी को करारी शिकस्त का सामना करना पडेगा। इस खबर के वायरल होने के बाद महिलामीडिया डॉट इन को कई तरह का आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। भाजपा के कई स्थानीय नेताओं ने इसे टेबल न्यूज बताकर सच को झुठलाने की भरपूर कोशिश की लेकिन समय बदला और अब जबकि विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने हैं, महिलामीडिया डॉट इन की उस खबर पर मुहर लग गई।
महिलामीडिया डॉट इन ने 03 सितम्बर को पोस्ट की गई अपनी खबर में साफ कहा था कि बस्तर को बचाने के लिए चार वर्तमान विधायकों की जगह नए चेहरों को मौका देने की जरूरत है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सर्वेक्षण रिपोर्ट के हवाले से यह खबर पोस्ट की गई थी, जिसमें संघ ने संघ ने भाजपा को नसीहत दी थी कि बस्तर को बचाना है तो उसे सभी बारह विधानसभा क्षेत्रों ने नए चेहरों को अवसर देना पड़ेगा। बस्तर के वर्तमान चारों विधायकों को बाहर बिठाने की समझाइश देते हुए संघ ने कहा कि भाजपा ने अगर ऐसा नहीं किया तो उसके लिए बस्तर को बचा पाना मुश्किल होगा।
संभवत: यह पहली बार हुआ है, जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट में भाजपा के चारों विधायकों की जमीनी हकीकत को मतदान केंद्रवार बताया है।
बस्तर संभाग में विधानसभा की बारह सीटें हैं। इनमें अंतागढ़ से भोजराज नाग, जगदलपुर से संतोष बाफना, नारायणपुर से केदारनाथ कश्यप व बीजापुर से महेश गागड़ा (दोनों मंत्री) विधानसभा में भाजपा का प्रतिनिधित्व करते हैं। संघ के सर्वेक्षण के अनुसार वर्तमान में इन चारों की स्थिति ऐसी नहीं है, जिसके आधार पर कहा जाए कि भाजपा इन चारों स्थानों को बचा पाने में सफल हो पाएगी। इस रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट रूप से बताया गया है कि कौन किस मतदान केंद्र में कमजोर है तथा उसकी हार का आंकड़ा क्या होगा।
बाफना-केदार बेहद कमजोर
महिलामीडिया डॉट इन ने संघ की इस सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर बताया था कि सर्वाधिक कमजोर स्थिति जगदलपुर विधायक संतोष बाफना व नारायणपुर विधायक केदारनाथ कश्यप की है। रिपोर्ट में कमजोर स्थिति का विस्तृत ब्योरा दिया गया है। विधायक बाफना के बारे में कहा गया है कि बस्तर परिवहन संघ को बंद कराने के अलावा खुटपदर गोलीकाण्ड में उनकी भूमिका के लिए मतदाताओं में भारी नाराजगी है। इसके अलावा उनके कुछ करीबी रिश्तेदारों की रोजमर्रा को काम में दखलंदाजी को मतदाता पसंद नहीं कर रहे है। निर्वाचन क्षेत्र के कुछ ग्रामीण इलाकों को छोड़कर शहरी व अन्य इलाकों में उनकी स्थिति बेहद कमजोर है।
इसके अलावा संघ ने नारायणपुर से केदारनाथ कश्यप की सफलता पर भी संदेह जताते हुए कहा है कि स्कूल शिक्षा मंत्री रहते हुए उनकी पत्नी शांति कश्यप के साथ जो घटनाक्रम हुआ, उसे बस्तरवासी अब तक नहीं भूल पाए हैं। कश्यप अपने क्षेत्र में अपेक्षित लोकप्रिय नहीं हैं तथा वहां के पार्टीजनों के साथ उनका जीवंत सम्पर्क नहीं है। उनका अधिकतर वक्त रायपुर अथवा जगदलपुर में बीतता है। यहां तक कि रायपुर में नारायणपुर के मतदाताओं को भी उनसे मिलने में भारी मुश्किल होती है। स्कूल शिक्षा तथा आदिमजाति कल्याण विभाग में बस्तर में होने वाली सभी गड़बडिय़ों के लिए संघ ने कश्यप को दोषी मानते हुए बताया है कि पिछले दिनों एक जिला शिक्षा अधिकारी पर आय से अधिक सम्पति अर्जित करने के मामले में कार्रवाई की गई थी, जिसे कश्यप का बेहद करीबी माना जाता है।
गागड़ा से नाराज बीजापुर
संघ की सर्वेक्षण रिपोर्ट में बीजापुर विधायक व मंत्री महेश गागड़ा की हालत बेहद दयनीय बताई गई थी। 2013 में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम को रेखांकित करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि बेहद कम मतों से जीतने के बावजूद गागड़ा अपने निर्वाचन क्षेत्र में अपनी जमीन मजबूत करने में कामयाब नहीं हुए। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने केवल भैरमगढ़ को फोकस रखा, बीजापुर की पूरी तरह अनदेखी है। इसको देकर मतदाताओं में उनके प्रति खासी नाराजगी है। अपनी रिपोर्ट में तो संघ ने यह भी बता दिया है कि भाजपा ने अगर गागड़ा पर फिर से दांव खेला तो उनकी पराजय तय है।